लखीमपुर खीरी, 30 मार्च 2025, रविवार। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित दुधवा नेशनल पार्क एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह है एक अत्यंत दुर्लभ और मायावी सांप “अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस” का पहली बार यहां देखा जाना। यह खोज न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए रोमांचक है, बल्कि भारतीय जैव विविधता के संरक्षण के इतिहास में भी एक नया अध्याय जोड़ती है। इससे पहले यह सांप केवल बिहार में देखा गया था, और अब दुधवा में इसकी मौजूदगी ने वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों को आश्चर्यचकित कर दिया है।
गैंडों की शिफ्टिंग के दौरान अनोखा नजारा
दुधवा नेशनल पार्क में इन दिनों गैंडों को उनके प्राकृतिक आवास में शिफ्ट करने का कार्य जोरों पर है। इसी अभियान के दौरान वन कर्मियों को एक अनोखा अनुभव हुआ। गैंडों को खुले जंगल में छोड़ने की प्रक्रिया के बीच एक दीमक के टीले की सफाई चल रही थी। तभी अचानक एक चमकीला हरा सांप फन फैलाकर सामने आया। उसका पतला शरीर, लंबी थूथन और आकर्षक रंग देखकर वन कर्मी हैरान रह गए। तत्काल इसकी तस्वीरें ली गईं और विशेषज्ञों से इसकी पहचान कराई गई। जांच के बाद पुष्टि हुई कि यह “अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस” है—एक ऐसा सांप जो अपनी दुर्लभता के लिए जाना जाता है।
क्या है अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस?
अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस, जिसे अंग्रेजी में “लॉन्ग-नोज्ड वाइन स्नेक” भी कहा जाता है, एक गैर-विषैला सांप है। इसका शरीर पतला और लंबा होता है, जो इसे बेल की तरह दिखाता है। इसकी सबसे खास विशेषता है इसकी लंबी थूथन (नाक), जो इसे अन्य सांपों से अलग करती है। इसका चटख हरा रंग इसे जंगल में छिपने में माहिर बनाता है, लेकिन जब यह फन फैलाता है, तो उसकी सुंदरता देखते ही बनती है। यह सांप छोटे कीड़े और छिपकलियों को अपना भोजन बनाता है। भारत में इसे पहली बार बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में देखा गया था, और अब दुधवा में इसकी मौजूदगी ने इसे उत्तर प्रदेश के लिए पहली बार दर्ज की गई प्रजाति बना दिया है।
दुधवा के लिए ऐतिहासिक क्षण
दुधवा नेशनल पार्क पहले से ही अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए मशहूर है। बाघ, गैंडे, बारहसिंगा और सैकड़ों पक्षी प्रजातियों का घर होने के साथ-साथ यह पार्क अब इस दुर्लभ सांप की खोज के साथ और खास हो गया है। वन अधिकारियों के मुताबिक, यह खोज दुधवा की पारिस्थितिकी और इसके संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। गैंडों के पुनर्वास के लिए चल रहा कार्य पहले ही इस क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव ला रहा है, और अब इस सांप का मिलना इस बात का सबूत है कि दुधवा का जंगल अभी भी कई रहस्यों को अपने आंचल में छिपाए हुए है।
प्रकृति का अनमोल तोहफा
इस घटना ने वन्यजीव विशेषज्ञों में उत्साह की लहर पैदा कर दी है। दुधवा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर ने इसे भारतीय वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण खोज बताया। उनका कहना है कि यह सांप न केवल दुर्लभ है, बल्कि यह पार्क के स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का भी संकेत देता है। दीमक के टीले जैसे छोटे-छोटे आवास भी यहां की जैव विविधता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस खोज ने एक बार फिर साबित कर दिया कि प्रकृति के पास हमें चौंकाने के लिए कितना कुछ बाकी है।
संरक्षण की नई उम्मीद
अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस की खोज न सिर्फ दुधवा के लिए, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि जंगलों और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए और प्रयास किए जाने चाहिए। गैंडों की शिफ्टिंग से लेकर दुर्लभ प्रजातियों की खोज तक, दुधवा नेशनल पार्क आज प्रकृति संरक्षण का एक जीवंत उदाहरण बन गया है। यह सांप अब इस क्षेत्र की पहचान में एक नया रंग जोड़ेगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति के प्रति जागरूक करने में मदद करेगा।
अंत में
दुधवा नेशनल पार्क का यह नन्हा मेहमान—अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस—हमें प्रकृति के अनमोल खजाने की याद दिलाता है। एक ओर जहां गैंडों का पुनर्वास इस क्षेत्र को नई जिंदगी दे रहा है, वहीं इस दुर्लभ सांप की मौजूदगी ने इसे और खास बना दिया। यह खोज न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें जंगलों के संरक्षण और उनकी अनदेखी सुंदरता को समझने का संदेश भी देती है। दुधवा अब सिर्फ बाघों और गैंडों का घर नहीं, बल्कि एक ऐसे रहस्यमयी सांप का ठिकाना भी है, जो अपनी हर फुंकार में प्रकृति की जीत की कहानी कहता है।