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Saturday, April 19, 2025

रंगभरी एकादशी: काशी विश्वनाथ धाम में हल्दी उत्सव की धूम, श्रद्धालुओं ने अर्पित की हल्दी और गुलाल

देर रात तक शिवार्चन मंच पर गूंजते रहे भक्ति गीत, श्रद्धालुओं ने भावपूर्ण प्रस्तुतियों में डूबकर मनाया उत्सव
वाराणसी, 9 मार्च 2025, रविवार। दिव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम में रंगभरी एकादशी का तीन दिवसीय समारोह भव्य रूप से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने श्री काशी विश्वनाथ महादेव और माता गौरा की प्रतिमा पर हल्दी अर्पण करने की पारंपरिक परम्परा का निर्वहन किया। श्री कृष्ण जन्मस्थली मथुरा से लाये गये अबीर- गुलाल एवं उपहार सामग्री तथा सोनभद्र से धाम में पधारे वनवासी समाज के भक्तों ने राजकीय फूल पलाश से निर्मित हर्बल गुलाल को श्री काशी विश्वनाथ महादेव को विधि- विधान से अर्पित किया। मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण एवं डिप्टी कलेक्टर शम्भू शरण ने श्री विश्वेश्वर महादेव का पूजन कर हर्बल गुलाल चढ़ाया।
इस समारोह में मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने भी भाग लिया और श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं माता गौरा को हल्दी, गुलाल एवं पुष्प अर्पित कर मंगल कामना की। समारोह के दौरान भजनों एवं मंगल गीतों से श्री काशी विश्वनाथ धाम गुंजायमान हो गया। हल्दी उत्सव में विशेष रूप से श्री कृष्ण जन्मस्थली से श्री काशी विश्वनाथ महादेव के लिए उपहार सामग्री लेकर आए भक्त, सोनभद्र से आए वनवासी समाज के भक्त एवं प्रसिद्ध इतिहासकार व लेखक श्री विक्रम सम्पत उपस्थित रहे।
त्रिदिवसीय रंगभरी एकादशी उत्सव में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परम्परा का निर्वहन कर रहा है। रंगोत्सव में काशी के भक्त एकजुट होकर श्री काशी विश्वनाथ महादेव के प्रति आस्था को प्रदर्शित कर रहे हैं। तीन दिनी उत्सव के जरिए धार्मिक, सांस्कृतिक परंपराओं का संरक्षण भी किया जा रहा है। उत्सव में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें शिवार्चन मंच पर कलाकारों ने अपने सुर-ताल से श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं माता गौरा को भावांजलि अर्पित की। कलाकारों की भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुक्त कर दिया। देर रात तक भक्तगण भक्ति सरिता में गोते लगाते रहे।
सांस्कृतिक प्रस्तुति की शुरुआत गायिका दिव्या दुबे ने होली गीतों से किया इसके उपरांत दूसरी प्रस्तुति डा अर्चना महेस्कर द्वारा शास्त्रीय भजन गायन की प्रस्तुति की गयी, कार्यक्रम की श्रृंखला में तीसरी प्रस्तुति मधुमिता भट्टाचार्य द्वारा शास्त्रीय भजन संध्या की रही चौथी प्रस्तुति डॉ हरिप्रसाद पौड्याल द्वारा बांसुरी वादन की रही पांचवी प्रस्तुति जय कोकिल पाण्डेय द्वारा भजन संध्या की रही एवं अंतिम प्रस्तुति डॉ प्रियम्बदा तिवारी द्वारा भरतनाट्यम की रही।

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