वाराणसी, 1 मई 2025, गुरुवार। वाराणसी के पहाड़िया चौराहे पर बुधवार की रात उस समय हड़कंप मच गया, जब शराब के नशे में धुत्त कुछ युवकों ने लालपुर-पांडेयपुर पुलिस टीम पर हमला बोल दिया। शराब पीने से रोकने की कोशिश ने इन युवकों का गुस्सा इतना भड़काया कि उन्होंने पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया। इस हिंसक हमले में इंस्पेक्टर राजीव सिंह का सिर फट गया, और वह लहूलुहान हो गए। न सिर्फ पुलिसकर्मी, बल्कि एक राहगीर भी इस पथराव की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गया।
रात के समय इंस्पेक्टर राजीव सिंह अपनी टीम के साथ गश्त पर थे। टीम में दरोगा विद्यासागर, कांस्टेबल सूरज तिवारी और सिद्धार्थ राय शामिल थे। पहाड़िया मंडी के पास अशोक विहार फेज-2 में कुछ युवक शराब के नशे में गाली-गलौज और झगड़ा कर रहे थे। पुलिस ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन नशे में चूर युवकों ने उल्टा पुलिस पर ही हमला कर दिया। सड़क पर पड़े पत्थर उठाकर उन्होंने पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ प्रहार शुरू कर दिए। इस हमले में इंस्पेक्टर राजीव सिंह के सिर पर गहरी चोट लगी, और उनका सरकारी मोबाइल (CUG) भी टूट गया। अन्य पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं, जबकि रास्ते से गुजर रहे अविनाश सेठ पत्थर लगने से घायल हो गए।
पुलिस ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की और हमलावरों का पीछा किया। इस दौरान एक आरोपी, विशाल जायसवाल, को मौके पर दबोच लिया गया, लेकिन 7-8 अन्य हमलावर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकले। घायल इंस्पेक्टर और अविनाश को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज किया गया। थाने में विशाल से पूछताछ में एक और हमलावर, गोलू पटेल, का नाम सामने आया। इंस्पेक्टर राजीव सिंह और कार्यवाहक चौकी प्रभारी विद्यासागर की तहरीर पर विशाल और गोलू को नामजद करते हुए 7-8 अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। विशाल को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
पुलिस अब बाकी फरार हमलावरों की तलाश में छापेमारी कर रही है, लेकिन 15 घंटे बीत जाने के बाद भी उनकी गिरफ्तारी न हो पाना सवाल खड़े कर रहा है। यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि नशे की बढ़ती प्रवृत्ति और उससे उपजने वाली हिंसा को भी उजागर करती है। पुलिस ने कसम खाई है कि बाकी हमलावरों को जल्द ही सलाखों के पीछे पहुंचाया जाएगा।
यह घटना वाराणसी की सड़कों पर बढ़ते नशे और हिंसा का एक डरावना चेहरा सामने लाती है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा, या यह सिर्फ एक और खबर बनकर रह जाएगी?