वाराणसी, 7 जुलाई 2025: रामनगर से पड़ाव तक फोर-लेन सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत मुआवजे में भेदभाव का आरोप लगाते हुए स्थानीय भूस्वामियों, दुकानदारों और उद्यमियों का गुस्सा फूट पड़ा। सोमवार को सैकड़ों प्रभावित लोग प्रधानमंत्री जनसंपर्क कार्यालय पहुंचे और प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। मांग? निष्पक्ष मुआवजा और तोड़फोड़ की जवाबदेही।
क्या है विवाद का केंद्र?
प्रभावितों का कहना है कि चंदौली जिले के भू-राजस्व विभाग ने इस क्षेत्र का सर्किल रेट ₹9000/वर्ग मीटर तय किया है, जिसके आधार पर वर्षों से रजिस्ट्री हो रही है। लेकिन प्रशासन की समिति ने इसे कृषि भूमि मानकर मात्र ₹950/वर्ग मीटर मुआवजा तय किया। राजेश कुमार सिंह, एक प्रभावित भूस्वामी, ने इसे “शासनादेशों की खुली अवहेलना” करार दिया। उनका सवाल है, “जब सराय-कैंट और मोहन रोड पर ₹9000/वर्ग मीटर दिए गए, तो रामनगर-पड़ाव के लिए यह भेदभाव क्यों?”
बिना नोटिस की तोड़फोड़ ने बढ़ाई नाराजगी
ज्ञापन में गंभीर आरोप लगाया गया कि कई मकान, दुकानें और बाउंड्री वॉल बिना पूर्व सूचना या मुआवजे के तोड़ दिए गए। इससे सैकड़ों परिवारों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। प्रभावितों ने मांग की कि तोड़फोड़ की जवाबदेही तय हो और सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा दिया जाए।
प्रशासन पर सवाल
प्रदर्शनकारियों ने तर्क दिया कि इस मार्ग पर 15% भूमि भूस्वामियों की है, जबकि शेष हिस्सा आबादी, बंजर और काशी नरेश स्टेट की भूमि है। फिर भी, मुआवजे में भारी कटौती क्यों? प्रभावितों का कहना है कि प्रशासन का यह रवैया न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि शासनादेशों और पूर्व परियोजनाओं के मानकों के खिलाफ है।
आगे क्या?
प्रशासन की ओर से अभी कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है, लेकिन प्रभावितों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज होगा। जनता अब न्याय की उम्मीद में सड़कों से लेकर कार्यालयों तक अपनी आवाज बुलंद कर रही है।