वाराणसी, 5 अप्रैल 2025, शनिवार। श्री काशी विश्वनाथ धाम, जो भगवान शिव की नगरी के रूप में विश्वविख्यात है, एक बार फिर भक्ति और आस्था के रंग में सराबोर होने जा रहा है। इस बार राम नवमी के पावन अवसर पर यहाँ अखंड रामायण पाठ का भव्य आयोजन किया जा रहा है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अनुपम अनुभव लेकर आएगा। यह आयोजन आज, दिनांक 5 अप्रैल 2025 को प्रातः काल से शुरू हुआ, जो चैत्र मास की दुर्गाष्टमी के शुभ दिन से प्रारंभ होकर कल, 6 अप्रैल 2025 को राम नवमी की तिथि पर समापन होगा।
अखंड रामायण पाठ: भक्ति का अनवरत प्रवाह
अखंड रामायण पाठ एक ऐसी साधना है, जिसमें भगवान श्रीराम के जीवन और उनके आदर्शों को समेटे हुए महाकाव्य “रामचरितमानस” का निर्बाध पाठ किया जाता है। काशी विश्वनाथ धाम में यह पाठ प्रातः काल से शुरू होकर अगले दिन तक निरंतर चलेगा। इस दौरान मंदिर परिसर भक्तों की उपस्थिति और मंत्रोच्चार से गूंज उठेगा। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भक्तों को एकजुट होकर प्रभु श्रीराम के चरणों में समर्पित होने का अवसर भी प्रदान करता है।
नवरात्रि का समापन: हवन यज्ञ के साथ कलश पूजा
राम नवमी के इस पवित्र अवसर पर अखंड रामायण पाठ के समापन के साथ ही एक और विशेष आयोजन होगा। प्रथम नवरात्रि से मंदिर चौक में स्थापित कलश पूजा का समापन भी इसी दिन हवन यज्ञ के साथ संपन्न होगा। यह हवन यज्ञ माँ दुर्गा और भगवान श्रीराम दोनों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा का प्रतीक होगा। इस अवसर पर मंदिर परिसर में भक्तों का उत्साह चरम पर होगा, जब वे हवन की पवित्र अग्नि में आहुति डालकर अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करेंगे।
काशी की आध्यात्मिक शोभा
काशी, जो प्राचीन काल से ही आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र रही है, इस आयोजन के माध्यम से अपनी महिमा को और भी बढ़ाएगी। श्री काशी विश्वनाथ धाम में राम नवमी का यह उत्सव भक्तों को न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने का अवसर देगा, बल्कि यहाँ की पवित्र गंगा के तट पर ध्यान और भक्ति में लीन होने का सौभाग्य भी प्रदान करेगा।
निमंत्रण
काशी विश्वनाथ न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा ने बताया, श्री काशी विश्वनाथ धाम की ओर से सभी भक्तों को इस पावन आयोजन में शामिल होने का हार्दिक निमंत्रण है। आइए, हम सब मिलकर अखंड रामायण के पाठ में भाग लें और भगवान श्रीराम के आशीर्वाद से अपने जीवन को धन्य बनाएं। यह अवसर है भक्ति, एकता और आस्था का, जिसे काशी की पावन धरती पर अनुभव करना हर श्रद्धालु के लिए सौभाग्य की बात होगी।
जय श्री राम! जय माँ दुर्गे!