नई दिल्ली, 15 मई 2025, गुरुवार। भारतीय सेना की वीरांगनाएं, जो देश की रक्षा के लिए दिन-रात सीमा पर डटकर दुश्मनों का सामना करती हैं, आजकल कुछ नेताओं की संकीर्ण सोच का शिकार हो रही हैं। पहले मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी कर हंगामा खड़ा किया, और अब समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने विंग कमांडर व्योमिका सिंह की जाति गिनाते हुए एक ऐसी टिप्पणी की, जिसने सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक तूफान मचा दिया है। सवाल यह है कि आखिर हमारी वीरांगनाओं को उनके शौर्य और समर्पण के बजाय धर्म और जाति के चश्मे से क्यों देखा जा रहा है?
रामगोपाल यादव का विवादित बयान
समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी जनता तक पहुंचाने वाली विंग कमांडर व्योमिका सिंह की जाति का जिक्र करते हुए कहा, “वे यह भी नहीं जानते थे कि व्योमिका सिंह कौन है या उसकी जाति क्या है… मैं आपको बता दूं – व्योमिका सिंह हरियाणा की ‘जाटव’ हैं, और एयर मार्शल ए.के. भारती पूर्णिया के यादव हैं। तीनों ही PDA सेगमेंट से थे।” यादव का यह बयान उनकी पार्टी की ‘PDA’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति को चमकाने की कोशिश थी, लेकिन इसने सेना की वर्दी की गरिमा पर सवाल उठा दिए।
सोशल मीडिया पर लोग गुस्से में हैं। एक यूजर ने लिखा, “सेना की वीरांगना को जाति के तराजू में तौलना शर्मनाक है। क्या अब देश सेवा भी जाति के आधार पर होगी?” आखिर सैन्य अधिकारियों की जाति बताने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या उनकी वीरता और देशभक्ति को जाति की सीमा में बांधा जा सकता है?
योगी आदित्यनाथ का करारा जवाब
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामगोपाल यादव की टिप्पणी पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा, “सेना की वर्दी ‘जातिवादी चश्मे’ से नहीं देखी जाती। भारतीय सेना का प्रत्येक सैनिक ‘राष्ट्रधर्म’ निभाता है, न कि किसी जाति या मजहब का प्रतिनिधि होता है।” योगी ने इसे समाजवादी पार्टी की संकुचित सोच और सेना के शौर्य का अपमान बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी विकृत जातिवादी सोच को जनता करारा जवाब देगी।
कर्नल सोफिया कुरैशी पर भी विवाद
यह पहला मौका नहीं है जब सेना की वीरांगना को निशाना बनाया गया। हाल ही में मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। विवाद इतना बढ़ा कि हाईकोर्ट ने मंत्री के खिलाफ FIR का आदेश दे दिया। हालांकि, शाह ने माफी मांग ली, लेकिन तब तक उनकी किरकिरी हो चुकी थी।
सेना की वर्दी की गरिमा पर सवाल
भारतीय सेना देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। इसकी वर्दी में न जाति होती है, न धर्म। फिर क्यों कुछ नेता अपनी सियासी रोटियां सेंकने के लिए सेना की वीरांगनाओं को निशाना बना रहे हैं? कर्नल सोफिया कुरैशी हों या विंग कमांडर व्योमिका सिंह, ये वो शख्सियतें हैं जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दांव पर लगाई। इनका सम्मान करना हर भारतीय का फर्ज है, न कि इनकी जाति या धर्म की चर्चा करना।