राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में बहुत कुछ अप्रत्याशित हो रहा है। आईएएस शिखर अग्रवाल को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के सीएमओ का चार्ज दिए अभी 24 घंटे भी नहीं हुए थे कि प्रमुख सचिव आलोक गुप्ता को भी सीएमओ में नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए गए हैं। हाल ही में उनका प्रशासनिक सुधार विभाग से डिस्कॉम के सीएमडी पद पर तबादला किया गया था।
गुप्ता की सीएमओ में नियुक्ति पर सवाल उठ रहे हैं कि ऐसा क्या हुआ कि अचानक सरकार ने आलोक गुप्ता को सीएमओ में प्रमुख सचिव के पद पर लगा दिया। जबकि इससे पहले उनका नाम इस पद के लिए काफी चला था लेकिन तब उनकी नियुक्ति यहां नहीं हुई थी।
आलोक गुप्ता की गिनती संघ पृष्ठभूमि से जुड़े अधिकारियों में होती है। भजनलाल सरकार के सत्ता में आने के साथ ही सीएमओ संभालने वाले संभावित अफसरों में आलोक गुप्ता का नाम सबसे पहले चर्चा में आया था। इस दौरान उनकी सोशल मीडिया पर सीएम के साथ मुलाकात की एक तस्वीर भी खूब वायरल हुई थी। इसके बाद गुजरात कैडर के आईएएस जेपी गुप्ता का नाम भी चला। उनका आना भी लगभग तय माना जा रहा था लेकिन बाद में राजस्थान कैडर से ही अफसर नियुक्त करने पर सहमति बनी।
आमतौर पर राजस्थान में एक ही महकमे में दो वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्तियां नहीं जाती हैं। सरकार के किसी विभाग में भी यदि प्रमुख सचिव की नियुक्ति की जाती है तो उनके ऊपर किसी अन्य अधिकारी को उस विभाग में नहीं लाया जाता है। इनके नीचे सचिव स्तर के अधिकारी लगाए जा सकते हैं।
अब ब्यूरोक्रेसी में इस बात की चर्चा है कि क्या दोनों अधिकारी एक साथ सीएमओ में रह सकते हैं। यह सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि पिछली गहलोत सरकार में दो प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी कुलदीप रांका और अजिताभ शर्मा को एक साथ सीएमओ में लगा दिया था लेकिन इसके बाद यह विवाद उठा कि कौन अधिकारी किसे फाइल भेजे। इसके चलते विवाद बढ़ा और बाद में अजिताभ शर्मा सीएमओ से बाहर आ गए।
सूत्रों के मुताबिक नई सरकार ब्यूरोक्रेसी में अब और भी फेरबदल कर सकती है। ये फेरबदल शीर्ष स्तर के हो सकते हैं। इसकी सूची विधानसभा सत्र के बाद आने की संभावना है।