देश भर में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है। कोरोना संक्रमण के डर से लोग अपनों का अंतिम संस्कार करने के लिए भी आगे नहीं आ रहे हैं। अस्पतालों से लेकर जहां-तहां कोविड मृतकों के शव छोड़ दिए जा रहे हैं। ऐसे में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को कहा कि राजस्थान में कोविड मृतक के अंतिम संस्कार की पूरी जिम्मेदारी शहरी एवं ग्रामीण स्थानीय निकायों को दी गई है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने अलग से कोष भी आवंटित किया है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट के जरिये कहा, ”राज्य में कोविड से दिवंगत हुए लोगों को भारतीय परंपरा के अनुसार, ससम्मान अंतिम विदाई देने के लिए मृतक का शव अस्पताल से लेकर कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार की पूरी जिम्मेदारी शहरी एवं ग्रामीण स्थानीय निकायों को दी गई है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने अलग से फंड भी आवंटित किया है।”
उन्होंने कहा ‘‘देशभर में कई स्थानों पर हमारी पवित्र नदियों गंगा, यमुना के किनारे शव मिलने एवं दफनाए जाने से लोग विचलित हो रहे हैं। कोविड से दिवंगत हुए रोगियों के पार्थिव देह को उचित सम्मान ना मिलने एवं एंबुलेंस मालिकों द्वारा अधिक राशि वसूलने की खबरें आईं हैं। इस मुश्किल समय में ऐसा होना दुखद है। प्रदेश सरकार ने इस संबंध में कुछ जरूरी कदम उठाए हैं।’’
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि प्रदेश में सभी कोरोना मरीजों के लिए सरकार ने निशुल्क एंबुलेंस की व्यवस्था की है, जिससे मरीज के परिजनों को परेशानी ना हो एवं समय पर रोगी को अस्पताल पहुंचाकर इलाज दिया जा सके। इसके लिए सरकार ने निजी एंबुलेंसों का भी अधिग्रहण करने का अधिकार जिला कलेक्टर को दिया है।
उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा के अनुसार मृतकों की अस्थियां गंगाजी में प्रवाहित करने हेतु पिछले वर्ष से ही निशुल्क मोक्ष कलश यात्रा बसें चलाई गईं हैं। हमारा यह कर्तव्य है कि दुनिया से विदा होने वाले सभी दिवंगतों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार किया जाए जिससे उनके परिजनों को संबल मिल सके। उन्होंने कहा कि कोविड से संबंधित किसी भी मदद, शिकायत या सुझाव के लिए राजस्थान सरकार की कोविड हेल्पलाइन 181 पर कॉल करें।