वाराणसी, 29 जून 2025: काशी की पावन धरती इस बार मानसून की मेहरबानी से सराबोर है। बीते 48 घंटों से रुक-रुक कर हो रही मूसलाधार बारिश ने दो साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मौसम विभाग के मुताबिक, शहर में 35 मिमी और ग्रामीण इलाकों में 20 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो जून के किसी एक दिन में 17 मिमी से अधिक वर्षा का पहला मामला है। गुजरात के कच्छ तट और बांग्लादेश की जलवायु गतिविधियों के प्रभाव से यह बारिश अगले कुछ दिनों तक और जोर पकड़ सकती है।
शहर में जलजमाव, जनजीवन अस्त-व्यस्त
लगातार बारिश ने वाराणसी के कई निचले इलाकों को जलमग्न कर दिया है। गिरजाघर चौराहा, अर्दली बाजार और लहरतारा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सड़कें पानी से लबालब हैं। जलभराव के कारण यातायात जाम और पैदल यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासी ने बताया, “पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, हर बारिश में सड़कें तालाब बन जाती हैं।”
सावन से पहले नगर निगम पर दबाव
12 दिन बाद शुरू होने वाले सावन के महीने में काशी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसे में जलजमाव की स्थिति प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। नगर निगम को सड़कों और नालियों की सफाई के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे, ताकि भक्तों को असुविधा न हो।
किसानों के लिए राहत और चुनौती
बारिश ने जहां धान की नर्सरी के लिए राहत दी है, वहीं अत्यधिक जलभराव से फसलों को नुकसान का खतरा भी बढ़ गया है। टमाटर, मिर्च, बैंगन, भिंडी और पालक जैसी सब्जियों के साथ-साथ मक्का और पत्तागोभी की फसलों पर संकट मंडरा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे खेतों में जलनिकासी की व्यवस्था करें और बारिश के दौरान कीटनाशकों व उर्वरकों का उपयोग टालें।
गंगा का जलस्तर बढ़ा, नाविक सतर्क
लगातार बारिश के बीच गंगा का जलस्तर भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है। बीते 48 घंटों में 5 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। नाविकों का कहना है कि अभी स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन जुलाई के अंत तक जलस्तर में तेज उछाल की आशंका है। नाविकों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं, ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके।
आने वाले दिनों में और बारिश की संभावना
मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है। वाराणसीवासियों को इस मानसून ने राहत और चुनौती दोनों दी हैं। जहां बारिश ने गर्मी से निजात दिलाई, वहीं जलजमाव और फसलों को नुकसान जैसे खतरे भी सामने हैं। प्रशासन, किसान और आमजन सभी को इस मौसम के दोहरे रंगों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।