वाराणसी, 3 जुलाई 2025: “दिव्य काशी, भव्य काशी” का नारा देने वाला वाराणसी-लखनऊ हाईवे (NH-56) एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार विकास की चमक नहीं, बल्कि निर्माण की खामियों ने सबका ध्यान खींचा है। गुरुवार सुबह शिवपुर थानांतर्गत गिलट बाजार पुलिस चौकी के पास “दिव्य काशी – भव्य काशी” गोलंबर के निकट करीब 20 फीट लंबी और 15-16 फीट चौड़ी सड़क अचानक धंस गई, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। होमगार्ड और ट्रैफिक पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए बैरिकेडिंग कर हादसे को टाल दिया, लेकिन सवाल वही—आखिर यह सड़क बार-बार क्यों धंस रही है?
दो दिन पहले भी हुआ था हादसा
यह कोई पहली घटना नहीं है। मात्र दो दिन पहले इसी स्थान पर सड़क धंसने से जौनपुर डिपो की रोडवेज बस फंस गई थी। स्थानीय लोग और राहगीर हैरान हैं कि आखिर 629 करोड़ रुपये की लागत से बने इस फोरलेन हाईवे की गुणवत्ता इतनी कमजोर क्यों है? 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया यह ड्रीम प्रोजेक्ट, जो वाराणसी को लखनऊ और जौनपुर से जोड़ता है, आज गड्ढों और खामियों का पर्याय बन चुका है।
2018 से उठ रहे सवाल
2018 में इस हाईवे का लोकार्पण करते हुए दावा किया गया था कि यह फोरलेन 17 किलोमीटर की दूरी को 20 मिनट में तय करवाएगा। लेकिन उसी साल हरहुआ में फ्लाईओवर निर्माण के दौरान शटरिंग गिरने की घटना ने निर्माण गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे। तत्कालीन डीएम ने जांच के आदेश दिए थे, लेकिन आज फिर वही कहानी दोहराई जा रही है। क्या यह बारिश का असर है या भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें?
सपा सांसद ने साधा निशाना
घटना की खबर मिलते ही चंदौली के सपा सांसद वीरेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे और प्रशासन पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में यह हाल है। बारिश ने नगर निगम, लोक निर्माण विभाग और प्रशासन की नाकामी उजागर कर दी है। इस सड़क की गुणवत्ता की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”
काशी की कनेक्टिविटी पर खतरा
यह हाईवे न केवल वाराणसी को लखनऊ और जौनपुर से जोड़ता है, बल्कि एयरपोर्ट तक की कनेक्टिविटी का भी अहम हिस्सा है। बार-बार सड़क धंसने से न केवल यात्रियों की जान जोखिम में है, बल्कि काशी के विकास मॉडल पर भी सवाल उठ रहे हैं।
क्या होगी कार्रवाई?
स्थानीय लोग और विपक्ष अब सख्त जांच की मांग कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या यह मामला भी जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में चला जाएगा, या इस बार जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी? जनता की नजर अब प्रशासन के अगले कदम पर टिकी है। क्या “दिव्य काशी” का सपना गड्ढों में दफन हो जाएगा, या इसे सचमुच भव्य बनाया जाएगा?