मेरठ, 4 जून 2025: मंगलवार को मेरठ के हापुड़ रोड पर स्थित अल साकिब एक्सपोर्ट लिमिटेड, पूर्व सांसद और मीट कारोबारी हाजी शाहिद अखलाक की फैक्ट्री, उस समय सुर्खियों में आ गई जब जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने वहां औचक छापेमारी की। जिलाधिकारी डॉ. वी.के. सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विपिन ताडा के नेतृत्व में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पशुपालन विभाग और अन्य अधिकारियों ने इस निरीक्षण में कई चौंकाने वाली अनियमितताएं उजागर कीं।
लाइसेंस खत्म, फिर भी चल रहा था कारोबार
छापे के दौरान सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ कि फैक्ट्री का लाइसेंस 02 जून 2025 को समाप्त हो चुका था। इसके नवीनीकरण के लिए प्रशासन को कोई जानकारी नहीं दी गई थी। यह नियमों की खुली अवहेलना थी, जिसने प्रशासन को हैरान कर दिया। जिलाधिकारी ने इसे गंभीर उल्लंघन बताते हुए फैक्ट्री प्रबंधन से जवाब-तलब किया।
जियो टैगिंग में चूक, रिकॉर्ड में गड़बड़ी
निरीक्षण में पाया गया कि फैक्ट्री के ऐन्टीमोर्टम स्थल पर सीसीटीवी कैमरे निष्क्रिय थे। रिकॉर्ड के मुताबिक, 01 जून को 216 पशुओं के प्रवेश की जानकारी थी, लेकिन मौके पर केवल 214 पशुओं का विवरण मिला। पूछताछ में पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि दो पशुओं को निरीक्षण के समय हटा दिया गया था। इस पर अधिकारियों ने रिकॉर्ड में हेराफेरी का आरोप लगाया।
सबसे गंभीर बात यह थी कि कई पशुओं पर जियो टैगिंग नहीं थी, जो नियमों का खुला उल्लंघन है। जिलाधिकारी ने इस लापरवाही पर पशुपालन विभाग के चिकित्साधिकारी को कड़ी फटकार लगाई और उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने का आदेश दिया।
बंद कमरों ने बढ़ाया संदेह
फैक्ट्री में कुछ कमरे बंद पाए गए, जिनके बारे में प्रबंधन कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। इससे वहां की गतिविधियों पर संदेह और गहरा हो गया। जिलाधिकारी ने प्रबंधन को पूरी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि बिना वैध लाइसेंस के कोई भी गतिविधि अवैध मानी जाएगी।
क्या बड़े पैमाने पर हो रही थी गड़बड़ी?
हाजी शाहिद अखलाक मेरठ के बड़े मीट निर्यातकों में से एक हैं, और उनकी फैक्ट्री से देश-विदेश में मीट की आपूर्ति होती है। लेकिन इस छापे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या नियमों की अनदेखी कर बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की जा रही थीं? प्रशासन ने साफ कर दिया है कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और भविष्य में दोबारा ऐसा हुआ तो सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।