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Friday, June 27, 2025

शोर की सजा: लखनऊ में एक टिप्पणी ने छीन ली महिला की जिंदगी

✍️ विकास यादव

लखनऊ, 23 मार्च 2025, रविवार। लखनऊ की एक शांत कॉलोनी में उस रात कुछ ऐसा हुआ, जिसने सबको हिलाकर रख दिया। ब्रिजधाम कॉलोनी में रहने वाली 43 साल की सारिका श्रीवास्तव अपने पति के साथ शनिवार की रात छत पर टहल रही थीं। रोज की तरह एक आम शाम थी, लेकिन सामने के हॉस्टल से आ रहा शोर उस शांति को भंग कर रहा था। अनीता नायक हॉस्टल के कुछ छात्र सड़क पर आपस में झगड़ रहे थे। शोर सुनकर सारिका नीचे आईं और छात्रों को रात में शोर न करने की सलाह दी। यह एक साधारण सी बात थी, जिसे कोई भी जिम्मेदार इंसान कह सकता था। लेकिन उस रात यह सलाह एक भयानक त्रासदी में बदल गई।
छात्रों ने न सिर्फ उनकी बात को अनसुना किया, बल्कि उल्टे तैश में आ गए। जब सारिका ने नाराज होकर पुलिस बुलाने की बात कही, तो एक छात्र का गुस्सा इस कदर भड़क उठा कि उसने तमंचा निकाला और सीधे सारिका के सीने में गोली दाग दी। खून से लथपथ सारिका वहीं जमीन पर गिर पड़ीं। गोली की आवाज से आसपास के लोग दहशत में आ गए। पड़ोसी दौड़कर मौके पर पहुंचे और सारिका को अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
सारिका के पति, जो फार्मा कंपनी में एरिया सेल्स मैनेजर हैं, उस पल को याद करते हुए कहते हैं कि उनकी आंखों के सामने यह सब हुआ। उन्होंने बताया कि हॉस्टल के छात्रों का झगड़ा कोई नई बात नहीं थी। सात महीने पहले ही उन्होंने हॉस्टल मालिक से शिकायत की थी, यह कहते हुए कि हॉस्टल को किसी परिवार को किराए पर दे देना चाहिए, क्योंकि छात्रों की हरकतों से कॉलोनी का माहौल खराब हो रहा था। लेकिन उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया गया। उस रात जब सारिका ने छात्रों को टोका, तो पहले तो वे चुप हुए, लेकिन फिर एक ने अचानक तमंचा निकालकर गोली चला दी। पति की बातों से साफ है कि यह हादसा सिर्फ एक पल की बात नहीं थी, बल्कि लंबे समय से अनदेखी की गई समस्या का नतीजा था।
पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हॉस्टल के आठ छात्रों को हिरासत में लिया। सैरपुर इलाके में हुई इस वारदात ने पूरे इलाके को सकते में डाल दिया। पुलिस का कहना है कि आरोपियों से पूछताछ चल रही है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है, लेकिन जो सवाल अब भी हवा में तैर रहे हैं, उनका जवाब शायद इतनी आसानी से न मिले।
यह घटना सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं है। यह बताती है कि गुस्से और लापरवाही का मिश्रण कितना खतरनाक हो सकता है। एक महिला, जिसका बस इतना कसूर था कि वह अपने आसपास शांति चाहती थी, को अपनी जान गंवानी पड़ी। यह सोचने की बात है कि क्या हमारा समाज इतना असहिष्णु हो गया है कि एक छोटी सी टिप्पणी की कीमत किसी की जान से चुकानी पड़ रही है? इस घटना ने न सिर्फ एक परिवार को तोड़ दिया, बल्कि पूरे समाज के सामने एक कड़वा सच भी रख दिया।

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