बाराबंकी, 10 नवंबर 2024, रविवार। आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े के मामले में बाराबंकी में कार्रवाई की गई है। जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देश पर कई संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जिनमें से आधा दर्जन संस्थान आयुष्मान योजना के तहत कार्यवाई के दायरे में आए हैं। यह कार्रवाई आयुष्मान योजना में हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
आयुष्मान योजना केंद्र सरकार द्वारा कमजोर वर्गों को चिकित्सा सहायता और सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक पहल है। यह योजना अधिकतम 5 लाख रुपये का कैशलेस मेडिकल कवर प्रदान करती है। लेकिन आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़े के मामले सामने आने से यह सवाल उठता है कि क्या यह योजना वास्तव में कमजोर वर्गों की मदद कर पा रही है या नहीं। इस गंभीर विषय पर किसी जिम्मेदार का ध्यान आकर्षित नहीं हो रहा है, लेकिन जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देश पर की गई कार्रवाई एक सकारात्मक कदम है। यह कार्रवाई आयुष्मान योजना में हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने में मदद कर सकती है और कमजोर वर्गों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने में मदद कर सकती है।
आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी एसीएमओ डॉ. राजीव दीक्षित ने जानकारी देते हुए बताया कि आयुष्मान योजना के नाम पर फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। जिसमें एक मामले में कड़ी करवाई करते हुए देवा मार्ग स्थित एमिकस हॉस्पिटल के संचालक पर मुकदमा दर्ज कराकर शनिवार को उनका लाइसेंस निरस्त कर दिया। इसी क्रम में श्री राम कालोनी के समीप वासुदेव पैथालोजी और पंचमदास बाबा कुटी स्थित निशा डायग्नोस्टिक सेंटर और बड़ेल चौराहा स्थित डीवी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल की जाँच में उसके संचालन सम्बन्धित दस्तावेज नदारद मिलने पर उसे सीज किया गया। इसके बाद दरियाबाद क्षेत्र में संचालित शुभ और इंडियन हॉस्पिटल का संचालक भी बिना लाइसेंस मिला। इनके संचालक कोई भी दस्तावेज नहीं दिखा सके। नोडल अधिकारी डॉ. राजीव दीक्षित ने बताया कि इन सभी संस्थानों को नोटिस जारी की गई है। जाँच अभियान जारी रखते हुए दोषियों पर कड़ी कार्यवाई सुनिश्चित की जाएगी।
अवैध नर्सिंग होम की बढ़ती संख्या एक गंभीर मुद्दा है, जो न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि आम जनत की सेहत के लिए भी खतरनाक हो सकता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही, निजी स्वास्थ्य केंद्रों की अनियंत्रित वृद्धि, और ट्रामा सेंटर जैसी सुविधाओं की कमी।
अवैध नर्सिंग होम के कारण:
निजी स्वास्थ्य केंद्रों की अनियंत्रित वृद्धि: निजी स्वास्थ्य केंद्रों की बढ़ती संख्या और उनके खुलने की आसानी से अवैध नर्सिंग होम को बढ़ावा मिल सकता है।
जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही: जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और अनियमितताओं के कारण अवैध नर्सिंग होम खुलते हैं और चलते रहते हैं।
ट्रामा सेंटर जैसी सुविधाओं की कमी: यदि जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर को पूरी तरह से संचालित नहीं किया जाता है, तो इससे अवैध नर्सिंग होम को बढ़ावा मिल सकता है ¹.
समाधान:
निजी स्वास्थ्य केंद्रों की निगरानी: निजी स्वास्थ्य केंद्रों की निगरानी और अनियमितताओं की जांच करना।
जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही: जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह बनाना और उनकी लापरवाही के लिए जुर्माना लगाना।
ट्रामा सेंटर जैसी सुविधाओं का विकास: जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर को पूरी तरह से संचालित करना और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना।