लखनऊ, 19 अप्रैल 2025, शनिवार। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव के खिलाफ आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणी करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस मामले में करणी सेना के कार्यकर्ता मोहित चौहान को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मोहित पर न केवल अखिलेश यादव के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने, बल्कि सपा सांसद रामजी लाल सुमन के सिर पर इनाम रखने का भी गंभीर आरोप है। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद चर्चा का केंद्र बन गई है।
मामला क्या है?
मोहित चौहान ने अखिलेश यादव के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की, जो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गई। इसके साथ ही, उसने सपा के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के खिलाफ भी विवादास्पद बयान दिया। सुमन हाल ही में 16वीं सदी के राजपूत राजा राणा सांगा को लेकर अपने एक बयान के कारण विवादों में घिरे थे। सुमन ने राणा सांगा को बाबर को भारत आमंत्रित करने का जिम्मेदार ठहराते हुए “देशद्रोही” कहा था, जिससे कुछ संगठनों में आक्रोश भड़क गया।
मोहित ने एक वीडियो में धमकी भरे लहजे में कहा कि सुमन को उनके बयानों की “कीमत चुकानी पड़ेगी” और मौका मिलने पर वह खुद इसकी सजा देगा। इस वीडियो के वायरल होने के बाद सपा जिला अध्यक्ष लक्ष्मी धनगर और सपा महिला सभा की प्रमुख आरती सिंह ने मोहित के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की।
पुलिस की कार्रवाई
सर्किल ऑफिसर अभय कुमार पांडे ने बताया कि मोहित चौहान को शुक्रवार रात जवां पुलिस थाने के अंतर्गत उसके घर से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने मोहित की टिप्पणियों को सामाजिक शांति के लिए खतरा मानते हुए त्वरित कार्रवाई की। भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
जांच में यह भी सामने आया कि मोहित का आपराधिक इतिहास पुराना है। साल 2016 से अब तक उसके खिलाफ छह से अधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से एक में उसने सुमन के सिर पर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
सियासी तूल और समाज पर प्रभाव
यह घटना न केवल सपा और करणी सेना के बीच तनाव को उजागर करती है, बल्कि सोशल मीडिया के दुरुपयोग और भड़काऊ बयानबाजी के खतरों को भी रेखांकित करती है। अखिलेश यादव और सपा के नेताओं के खिलाफ इस तरह की टिप्पणियां न केवल राजनीतिक माहौल को गरमाती हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी प्रभावित करती हैं।
अलीगढ़ में मोहित चौहान की गिरफ्तारी इस बात का संदेश देती है कि भड़काऊ और आपत्तिजनक बयानबाजी के खिलाफ कानून सख्ती से काम करता है। यह मामला हमें यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए। पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है, और आने वाले दिनों में इसकी और परतें खुलने की उम्मीद है।