हसमुख उवाच
कलियुग में, जिसे आधुनिक युग भी कहा जाता है, में अनेक वैज्ञानिक अविष्कार हुए हैं, अनेक चमत्कारिक विद्या एं भी हैं! उन्ही में से एक विद्या का भी खूब विकास हुआ है, जिसे कहते हैं _ठग विद्या! हमारे देश में तो आजादी के बाद ठग विद्या की कयी प्रतिभाएं जानने में आईं और अब भी जानने में आ रही है! परिश्रम से, योग्यता से,अथवा नैतिक मूल्यों से उन्नति करने की मूर्खता अब कोई नहीं करना चाहता, उन्नति के लिए और अमीर बनने के लिए ‘शार्टकट अपनाया जाता है।
इस शार्टकट के महारथी का नाम अभी चर्चा में आया है जिसका नाम है -हर्षवर्धन जैन! जो देश दुनिया में कही नहीं हैं उनकी कल्पना ठग विद्या के महान प्रोफेसर हर्षवर्धन जैन ने कर दिखाई और वहां के राजनायिक सलाहकार भी बन गये! वेस्ट आर्कटिका,सेबोरगा, पाल्विया,लोडोनिया इन देशों का कहीं कोई वजूद नहीं है लेकिन गाजियाबाद में इनके फर्जी दूतावास चल रहे थे, ठग विद्या के प्रोफेसर शातिर हर्ष वर्धन जैन खुद को इन देशों का राजदूत और राजनायिक सलाहकार बताते थे! और लोगों को विदेशों में नौकरी व वीजा बनाने के नाम पर ठगते थे!
वाकयी ठगी के इस कलाकार की कला को देखकर स्पेशल टास्क फोर्स भी धन्य हो गई होगी जिसने उसे गाजियाबाद में गिरफतार किया होगा, टास्क फोर्स ने इस फर्जी दूतावास पर छापा मारा वहां वह सब मिला जो दूतावास के लिए जरुरी लगता था! फर्जी राजनायिक नंबर प्लेट लगी चार लग्जरी गाड़ियां, १८राजनायिक नंबर प्लेट, १२पासपोर्ट,विदेश मंत्रालय की फर्जी मोहरें ,साथ ही दो पैन कार्ड, ३४देशों की कंपनियों की मोहरें, दो प्रेस कार्ड और ४४दशमलव७०लाखलाख रुपये की भारतीय व विदेशी मुद्रा! एस टी एफ ने सभी को जब्त कर लिया! ठग विद्या की जीवंत प्रतिमा तथा आलौकिक प्रतिभा के धनी हर्षवर्धन जैन प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, व प्रसिद्ध लोगों के साथ फोटो शाप से अपनी तस्वीरें दिखाकर लोगों को झांसे में ले लिया करता था!
हर्ष वर्धन २०१२से फर्जी देश सेबोरगा का खुद को सलाहकार बताता रहा था, इसके और भी कारोबार थे! सवाल ये है कि इतनी प्रतिभा अगले में किन लोगो की संगत से आई? तो उनके नाम हैँ ‘चन्द्रास्वामी,ये भी महान आत्मा रही है, अब परलोक में हैं, दूसरी महान आत्मा है हथियारों के प्रसिद्ध सौदागर ‘अदनान खशोगी! और अहसान अली सैय्यद, ऐसी महान आत्माओं की संगति में हर्ष वर्धन जैन ने कयी कंपनिया बनाई और दलाली व हवाला का धंधा किया!
आज हर्षवर्धन जैन पकड़े गये हैं, बुद्धि तो इनमे बहुत थी लेकिन ‘सद्बुद्धि ‘नहीं थी, यदि सद्बुद्धि होती तो गलत रास्ते पर चलने का परिणाम पहले ही सोच लेते, उन्हें समझ में आ गया होता कि ‘बड़े धोखे हैं इस राह में, बाबू जी धीरे चलना ‘ हमारा मानना है कि ठग विद्या के इस प्रोफेसर हर्षवर्धन जैन को अब भी यह विश्वास होगा कि भारत में उदार कानूनों की वजह से वह कुछ समय बाद छूट जाएगा, क्योंकि गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि ‘समरथ को नहिं दोस गुसाईं’,बड़े फ्राड वालों में गहरा आत्मविश्वास होता है कि उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा ,भारत के कानूनों में वो ताकत ही नहीं है जो उन्हें सजा दे सके या उनका जुर्म साबित हो सके, इसीलिए घोटालेबाज नेता पकड़े जाने पर मुस्कराते हुए फोटो खिंचवाते हैं, यह कोई अमेरिका तो है नहीं जहां दो शर्ट चुराने वाला बीस बीस साल की सजा भोगता है, घटिया कानूनों का घटिया लोग ही लाभ उठाते रहै है, वैसे आगे देखा जाएगा कि क्या होता है। ठग विद्या के इस प्रोफेसर की क्या गति होगी यह समय ही बता सकता है!