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Sunday, December 22, 2024

नोएडा में 30,000 घर खरीदारों की मुश्किलें बढ़ीं: 4 साल से रजिस्ट्री का इंतजार, डेवलपर्स और नोएडा प्राधिकरण के बीच उलझा है मामला

नई दिल्ली, 16 दिसंबर 2024, सोमवार। नोएडा अथॉरिटी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने नोएडा अथॉरिटी समेत कई सरकारी निकायों को नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्हें 10 जनवरी 2025 तक जवाब देने का निर्देश दिया गया है। यह मामला सेक्टर 79 स्थित गौर स्पोर्ट्सवुड अपार्टमेंट के मालिकों द्वारा दायर की गई याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने नोएडा अथॉरिटी द्वारा अपार्टमेंट की रजिस्ट्री पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने की मांग की है। जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता और मनोज कुमार गुप्ता की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की और नोएडा प्राधिकरण को जवाब देने का निर्देश दिया। अब इस मामले में 10 जनवरी को सुनवाई की जाएगी, जिसमें नोएडा प्राधिकरण को अपना जवाब देना होगा। यह मामला नोएडा अथॉरिटी के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि इसमें उन्हें अपनी कार्रवाइयों को स्पष्ट करना होगा।
नोएडा में स्पोर्ट्स सिटी ग्रुप हाउसिंग स्कीम के तहत 70 प्रतिशत हिस्से पर वर्ल्ड क्लास स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की योजना थी, लेकिन डेवलपर्स ने यहां अपार्टमेंट्स बनाने शुरू कर दिए। इस पर कार्रवाई करते हुए नोएडा प्राधिकरण ने स्पोर्ट्स सिटी में रजिस्ट्रेशन से लेकर नक्शा पास करवाने पर रोक लगा दी थी। इस प्रतिबंध का असर सेक्टर 78, 79, 150 पर भी देखने को मिला, जिससे लगभग 30,000 से ज्यादा अपार्टमेंट के मालिक प्रभावित हो रहे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका के अनुसार नोएडा अथॉरिटी ने स्पोर्ट्स सिटी के लिए 727,500 स्क्वायर मीटर की जमीन आवंटित की थी। गौर स्पोर्ट्सवुड प्राइवेट लिमिटेड ने 40,000 स्क्वायर मीटर में 800 अपार्टमेंट बनाए और घर खरीदने वालों को रजिस्ट्री का आश्वासन दिया। लेकिन नोएडा प्राधिकरण ने प्रोजेक्ट के नियमों का उल्लघंन करने के कारण रजिस्ट्री बैन कर दी।
लगभग 1 महीने पहले, 44 अपार्टमेंट खरीदारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने नोएडा प्राधिकरण द्वारा लगाए गए बैन के कारण अपने घरों के मालिकाना हक की मांग की थी। उनका कहना है कि डेवलपर्स की गलती की सजा उन्हें क्यों मिल रही है और अगर रजिस्ट्री बाद में होनी थी तो नोएडा प्राधिकरण ने अपार्टमेंट खरीदारों को घर खरीदते समय क्यों नहीं रोका? वहीं, नोएडा प्राधिकरण के CEO लोकेश एम का कहना है कि 2021 में कुछ उल्लघंनों के कारण बैन लगाया गया था और तब से यह मामला राज्य सरकार के पास पेंडिंग है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर वे जरूरी कदम उठाने का पूरा प्रयास करेंगे।

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