नई दिल्ली, 30 मार्च 2025, रविवार। वायनाड की हरी-भरी वादियों में पिछले दिनों प्रकृति ने अपना कहर बरपाया था। मुंडक्कई-चूरलमाला भूस्खलन ने न सिर्फ जमीन को हिलाया, बल्कि यहाँ के लोगों के जीवन को भी झकझोर कर रख दिया। घर उजड़े, अपनों का साथ छूटा और सपने मलबे में दब गए। लेकिन इस अंधेरे के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी एक नई रोशनी लेकर आईं। अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड के दौरे पर उन्होंने भूस्खलन से प्रभावित छात्रों के लिए उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति योजना की शुरुआत की, जो न केवल एक सहारा है, बल्कि एक सुनहरे भविष्य का वादा भी है।

कलपेट्टा में आयोजित इस छात्रवृत्ति वितरण समारोह में प्रियंका ने न सिर्फ आर्थिक मदद का ऐलान किया, बल्कि दिल से दिल तक का रिश्ता जोड़ा। उन्होंने मालाबार चैरिटेबल ट्रस्ट, शैक्षणिक संस्थानों और व्यापारिक संगठनों की उदारता की तारीफ की, जिन्होंने इस नेक काम के लिए हाथ बढ़ाया। प्रियंका ने भावुक होते हुए कहा, “जब भूस्खलन के बाद मैं यहाँ आई, तो मैंने लोगों का दर्द करीब से देखा। हम इस पीड़ा की सिर्फ कल्पना कर सकते हैं, लेकिन जो अपने परिवार, घर और आजीविका खो चुके हैं, उनके दुख को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। हम उनके नुकसान को वापस नहीं ला सकते, लेकिन उनके भविष्य को संवारने की कोशिश जरूर कर सकते हैं।”

इस त्रासदी के बाद वायनाड के लोगों ने जिस हिम्मत और एकजुटता का परिचय दिया, उसे प्रियंका ने खूब सराहा। उन्होंने कहा कि सबसे दुखद पहलू यह था कि कई बच्चों ने अपने माता-पिता खो दिए और वे अकेले रह गए। इसीलिए यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने यह संकल्प लिया कि हर प्रभावित छात्र की शिक्षा में कोई रुकावट नहीं आएगी। इस दिशा में कलपेट्टा विधायक टी. सिद्दीकी के प्रयासों की भी उन्होंने जमकर तारीफ की, जिन्होंने न सिर्फ फंड जुटाया, बल्कि कॉलेजों से फीस में छूट भी दिलवाई।

छात्रों से मुखातिब होते हुए प्रियंका का अंदाज बेहद प्रेरणादायक था। उन्होंने कहा, “अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, मेहनत करो और अपने भविष्य को चमकाओ। आपकी हिम्मत और ताकत ही आपका सबसे बड़ा हथियार है। हम सब आपके साथ हैं, आपके सपनों को सच करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।” उनकी ये बातें न सिर्फ प्रोत्साहन थीं, बल्कि एक भरोसा भी थीं कि वायनाड का हर बच्चा अपने पैरों पर खड़ा होगा।

अपने दौरे के अंतिम दिन प्रियंका ने ‘दिशा’ बैठक में हिस्सा लिया, 29 परिवारों को नए घरों की चाबियाँ सौंपीं और वंडूर में सात दिव्यांग लोगों को स्कूटर बाँटकर उनकी जिंदगी को आसान बनाने की कोशिश की। यह दौरा सिर्फ एक सांसद का कर्तव्य नहीं था, बल्कि एक संवेदनशील नेता का अपने लोगों के प्रति प्यार और समर्पण था। वायनाड के लिए प्रियंका गांधी की ये पहल नई उम्मीद की शुरुआत है, जो शिक्षा के प्रकाश से हर घर को रोशन करने का वादा करती है।