प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भारत के प्राचीनतम नगरों में एक, उज्जैन में श्री महाकाल लोक का उद्घाटन करेंगे। महाकालेश्वर मंदिर का यह नया स्वरूप भारत की ऐतिहासिक व सभ्यतागत राष्ट्र की यात्रा में एक महत्वपूर्ण घटना है। इसके दो कारण हैं। पहला, आस्था और भक्ति पर आधारित। महाकालेश्वरजी, भगवान शिव की पूजा के लिए विख्यात ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख हैं। मंदिर को मध्यकाल में आक्रमणों का सामना करना पड़ा था। स्कंद पुराण में उल्लेखित रुद्रसागर झील भी प्रदूषित पानी का तालाब बन गयी थी।
मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भगवान शिव के महान मंदिर को फिर से जीवंत करने की चुनौती स्वीकार की। यथोचित मुआवजे के बाद अतिक्रमणों को शांतिपूर्वक हटाया गया। इस पूरे नवीनीकरण में मंदिर परिसर का भव्य विस्तार व कलात्मक सौंदर्यशास्त्र ही नहीं, दर्शनार्थियों व पैदल यात्रियों की भीड़ का कुशल प्रबंधन भी है। उज्जैन के मुख्य भागों में सुगम यातायात व्यवस्था, वाहन पार्किंग की विकेंद्रीकृत प्रणाली, जन सुरक्षा हेतु नवीनतम उपकरण और सॉफ्टवेयर, यह सब श्री महाकाल लोक को सुंदरता के साथ दक्षता प्रधान करते हैं। प्रदूषण- व ध्वनि-रहित ई-रिक्शा और पर्याप्त चार्जिंग केंद्र होंगे। साथ ही सौर पैनल बिजली की खपत को पूरा करेंगे।
एक अद्भुत परिवर्तन हुआ है शिवजी के इस धाम में। भगवान शिव की कहानियों को दर्शाने वाले सुंदर पैनल चहुंओर हैं। भगवान शिव और माता पार्वती व उनकी संतान भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की जीवंत पारिवारिक मूर्तियां दिल को छू लेंगी। शिव-पार्वती विवाह, त्रिपुरासुर वध, तांडव स्वरूप की छवियां और सप्तऋषियों की मूर्तियां प्रफुल्लित करती हैं। रुद्रसागर झील प्राचीन रूप में फिर से जीवित हो गयी है, पवित्र शिप्रा नदी के जल से।
दूसरा कारण भी उतना ही प्रासंगिक है आज के उज्जैन में। एक होलोग्राफिक प्रतिरूप, जो इस महान मंदिर के नाम पर बनाया गया है : महा-काल-ईश्वर। भगवान शिव समय के महानतम स्वामी हैं, आदि-अनंत हैं। उज्जैन, जो युगों से अवंती के नाम से प्रख्यात था, वैज्ञानिक अनुसंधान का एक प्राचीन केंद्र था। वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त और भास्कराचार्य जैसे प्रसिद्ध गणितज्ञ और खगोलविद भारत के सुदूर क्षेत्रों से उज्जैन पहुँचे, इस नगर को अपनी कर्मभूमि बनाने। यह शहर शताब्दियों पूर्व समय-निर्धारण का केंद्र था। प्राचीन भारतीय गणितज्ञों द्वारा समय की गणना के लिए उज्जैन का ही संदर्भ बिंदु लिया जाता था, जिस प्रकार विश्व समय हेतु ब्रिटेन के जीएमटी से जीरो मेरिडियन का आज प्रयोग होता है।
उज्जैन एक अनूठा भौगोलिक स्थान है जहां शून्य मेरिडियन और कर्क रेखा एक दूसरे से मिलते हैं। ग्रीष्म संक्रांति 21 जून, वर्ष के सबसे लम्बे दिन पर, दोपहर में सूर्य ठीक ऊपर की ओर होते हैं। इसके बाद ही प्रारम्भ होता है दक्षिणायन का, जब सूर्य भगवान दक्षिण की यात्रा शुरू करते हैं। तभी तो उज्जैन नगर समय की गणना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता था। इसीलिए उज्जैन की मान्यता है विश्व की नाभि के रूप में। प्राचीन भारतीय तिथि निर्धारण चंद्र-सौर कैलेंडर या पंचांग आज भी उज्जैन को शून्य मध्याह्न रेखा के रूप में उपयोग करते हैं।
प्राचीन काल में ग्रीष्म संक्रांति पर दोपहर के सूर्य की किरणें भव्य महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर सीधे गिरती थीं। सम्भव है कि आज यह किरणें समीप के मंगल मंदिर पर गिरती हों। यह पृथ्वी की धुरी के पूर्वगामी होने के कारण हुआ होगा। एक भारतीय के रूप में, मैं महाकाल मंदिर परिसर में ऊर्जा के इस पुन: संचार की आकांक्षा रखता हूं। यह हमारे देश के विज्ञान के पुनरुद्धार, और अवंती व उसके आसपास बनाए गए हमारे प्राचीन ग्रंथों के विश्लेषण को भी बढ़ावा देगा।
महाभारत के अनुसार, पुरुष बली नहीं होत है, समय होत बलवान। समय के सार को कितनी खूबसूरती से कैद किया है ऋषि वेद व्यासजी ने। समय एक ऐसी ऊर्जा है, जिसका उपयोग न किया जाए तो वह व्यर्थ ही नष्ट हो जाती है और फिर कभी वापस नहीं आती। समय हमें अपनी अपरिहार्य भविष्य गति में उलझा कर रखता है। किंतु यदि महाकालेश्वरजी के आशीर्वाद के साथ हम चेतना तथा इच्छा शक्ति का प्रयोग कर समय को वश में कर लेते हैं तो इस क्षण की महत्ता को समझते हुए अपने पूर्वजों की भक्ति, शक्ति व ज्ञान की आधारशिला पर भारत की अट्टालिका और अधिक बढ़ा सकते हैं।
महाकाल की नगरी में पीएम मोदी आज करेंगे लोकार्पण
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को उज्जैन में द्वादश ज्योर्तिलिंगों में प्रमुख महाकाल शिव के ‘श्री महाकाल लोक’ के कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे। पवित्र क्षिप्रा नदी के तट पर बसे उज्जैन का श्री महाकाल लोक, भोले के भक्तों के स्वागत के लिए तैयार है। अब पार्किंग से लेकर महाकाल दर्शन तक पहुंचने में सिर्फ 20 मिनट लगेंगे। यहां एक घंटे में 30 हजार लोग दर्शन कर सकेंगे।
विदेशों में भी होगी गूंज
बीजेपी विदेश संपर्क विभाग ने यूएसए, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूके, यूएई, कनाडा हॉलैंड, कुवैत समेत 40 देशों के एनआरआई के साथ की वर्चुअल मीटिंग। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी रहे मौजूद।
40 देशों में लोकार्पण का सीधा प्रसारण। मंदिरों में उत्सव, दीप जलाएंगे… बड़ी स्क्रीन पर लाइव।
15,000 टन राजस्थानी पत्थर लगाया गया है प्रथम चरण के कार्य में।
पूरे कैंपस को घूमने, दर्शन के लिए 4 से 5 घंटे का वक्त लगेगा।
946 मीटर लंबे कॉरिडोर में चलकर भक्त गर्भगृह तक पहुंचेंगे। इस दौरान शिव गाथा देखने-सुनने को मिलेगी।
856 करोड़ रुपये की लागत से दो चरण में विकसित किया जा रहा है महाकाल के आंगन को
इसके बाद 2.8 हेक्टेयर में फैले महाकाल का पूरा एरिया 47 हेक्टेयर का हो जाएगा।
उज्जैन में करीब 47 हेक्टेयर के महाकाल लोक की कल्पना स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के साथ ही की गई।
800 घरों को शिफ्ट किया गया।
384 मीटर लंबी म्यूरल्स वॉल पर शिव कथाएं प्रदर्शित की गई हैं।
एक भारतीय के रूप में, मैं महाकाल मंदिर परिसर में ऊर्जा के इस पुन: संचार की आकांक्षा रखता हूं। यह हमारे देश के विज्ञान के पुनरुद्धार, और प्राचीन ग्रंथों के विश्लेषण को भी बढ़ावा देगा।