वाराणसी, 31 जुलाई 2025: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में सुरक्षा व्यवस्था कागजों पर भले ही चाक-चौबंद दिखे, लेकिन हकीकत इसके उलट है। सालाना 9.6 करोड़ रुपये खर्च, 700 सुरक्षाकर्मी, 80 किलोमीटर रेंज वाले वायरलेस सेट, आठ पेट्रोलिंग वाहन और 30 से ज्यादा प्रॉक्टोरियल बोर्ड की टीम के बावजूद कैंपस में अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे। हाल ही में कला संकाय के प्रोफेसर पर हमले ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है।
पिछले एक साल (2024-2025) में बीएचयू परिसर में 300 से ज्यादा चोरी, 15 से अधिक छेड़खानी और 100 से ज्यादा मारपीट के मामले सामने आए हैं। शिक्षकों और छात्रों का कहना है कि कैंपस में सुरक्षा के दावे खोखले हैं। आईआईटी बीएचयू में पिछले साल हुए दुष्कर्म मामले के बाद सीआईएसएफ की टीम ने 15 दिन तक सुरक्षा मानकों का अध्ययन किया था, लेकिन सुधार के दावे हवाई साबित हुए।
सीसीटीवी नाकाम, गश्त नदारद
शिक्षकों ने बताया कि पूरे कैंपस में महज 26-30 सीसीटीवी कैमरे हैं, जिनमें से कई निष्क्रिय हैं। विधि संकाय से एम्फीथिएटर मार्ग तक एक भी सक्रिय कैमरा नहीं है, जबकि आईआईटी बीएचयू में 520 कैमरे लगे हैं। शिक्षकों का आरोप है कि सुरक्षा गश्त भी नियमित नहीं होती। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई बार राउंड ही नहीं होते।
प्रो. मूर्ति की हालत गंभीर
हमले में घायल प्रोफेसर मूर्ति का इलाज ट्रॉमा सेंटर के प्राइवेट वार्ड में चल रहा है। दोनों हाथों में फ्रैक्चर के कारण वह बिस्तर पर हैं और डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी कर रही है। परिजनों के साथ-साथ छात्र और शोधार्थी भी उनके साथ मौजूद हैं।
सुरक्षा पर सवाल
बीएचयू में सुरक्षा के नाम पर भारी-भरकम बजट और संसाधनों के बावजूद अपराधों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। शिक्षकों और छात्रों ने मांग की है कि सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ किया जाए, ताकि कैंपस में सुरक्षित माहौल सुनिश्चित हो सके। विश्वविद्यालय प्रशासन की चुप्पी और लचर व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। क्या बीएचयू अब सुरक्षित नहीं रहा? यह सवाल हर किसी के मन में कौंध रहा है।