वाराणसी, 3 मार्च 2025, सोमवार। होली के त्योहार के नजदीक आने के साथ ही काशी में गौरा के गौना की तैयारियां जोर पकड़ रही हैं। महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती विवाह के बाद रंगभरी एकादशी पर विश्वनाथ मंदिर के टेढ़ीनीम स्थित मंहत आवास (गौरा सदनिका) से महादेव संग गौरा के गौना की हल्दी और पालकी यात्रा का कार्य भी शुरू हो गया है। इस बार गौरा के विग्रह के समक्ष हल्दी तेल के लोकाचार के लिए हल्दी असम के गुवहाटी स्थित माता कामाख्या के मंदिर से भेजी जा रही है। यह हल्दी 52 शक्ति पीठों में एक अघोरियों और तांत्रिकों का गढ़ माने जाने वाले असम के गुवहाटी स्थित माता कामाख्या के मंदिर से भेजी जा रही है। यह हल्दी काशीवासी गौरा को चढ़ाई जाएगी। इसके अलावा, बाबा के लिए श्रीराम भूमि अयोध्या और श्रीकृष्ण की भूमि मथुरा से गुलाल भेजा जाएगा। यह गुलाल बाबा विश्वनाथ को चढ़ाया जाएगा। गौरा के गौना की तैयारियों में काशी के लोग जोर-शोर से जुटे हुए हैं। यह त्योहार काशी की संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अयोध्या के प्रकांड रामायणी पं. वैद्यनाथ पांडेय के पुत्र पं. राघवेंद्र पांडेय ने फूलों से तैयार की गई खास प्रकार की अबीर भेजी है। मथुरा के जेल में बंदियों द्वारा बाबा के लिए खास हर्बल अबीर भेजी गई है। चार दिनों तक चलने वाले गौरा के गौना उत्सव के प्रथम दिन सात मार्च को टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास में संध्याबेला में गौरा को हल्दी लगाई जाएगी। महाशिवरात्री के पूर्व बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ की प्रतिमा के समक्ष परंपरानुसार तिलकोत्सव के बाद हल्दी लगायी गयी थी।
हल्दी की रस्म के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पर जमा होगी। एक तरफ मंगल गीतों का गान के बीच गौरा को कामख्या शक्तिपीठ से आयी हल्दी लगाई जाएगी। यह रस्म विश्वनाथ मंदिर के दिवंगत मंहत डॉ. कुलपति तिवारी की पत्नी मोहिनी देवी के सानिध्य में वंश परंपरानुसार उनके पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी निभायेंगे। महंत आवास में तैयारिया पूर्ण कर ली गई हैं। मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान होगा। ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना के गीत मुखर होंगे। हल्दी के पारंपरिक देवी गीतों में गौरा की खूबियों का बखान कर शिवांजलि प्रस्तुत की जायेगी।
महंत वाचस्पति तिवारी ने बताया सात मार्च को ब्रह्म मुहूर्त में गौरा की चल प्रतिमा का 11 वैदिक ब्रह्मणों द्वारा विशेष पूजन किया जायेगा। दोपहर में भोग आरती के बाद गौरा की प्रतिमा का विशेष शृंगार होगा। सायंकाल सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘शिवांजलि’ में कलाकारों द्वारा भजनों की प्रस्तुति होगी। महंत परिवार द्वारा गौरा के गौने विधान पूर्ण करने की तैयारी कर ली गई है। महंत परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के मार्गदर्शन में महादेव एवं गौरा के गौना का कर्मकांड पूर्व परंपरानुसार पूर्ण किया जाएगा। पं. वाचस्पति ने बताया महंत आवास पर काशी के लोकउत्सव की शुरूआत बंसत पंचमी पर बाबा विश्वनाथ की प्रतिमा के समक्ष तिलकोत्सव करके हो गई है। यह उत्सव 10 मार्च रंगभरी एकादशी काशीवासियों द्वारा बाबा की पालकी (गौना यात्रा) उठाने तक अनवरत चलती रहेगी।