वाराणसी, 15 अप्रैल 2025, मंगलवार: आठ साल पहले हुए सनसनीखेज प्रमोद निगम हत्याकांड में आखिरकार इंसाफ की जीत हुई। विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) यजुवेंद्र विक्रम सिंह की अदालत ने मंगलवार को मुख्तार अंसारी के दो शूटरों, नंदलाल राय उर्फ बबलू राय और शेषनाथ शर्मा, को उम्रकैद की सजा सुनाई। दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। यह फैसला न केवल प्रमोद निगम के परिवार के लिए राहत लेकर आया, बल्कि न्याय की उम्मीद को और मजबूत करता है।
क्या था मामला?
17 जनवरी 2017 को वाराणसी के इंग्लिशिया लाइन इलाके में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब राष्ट्रीय ठेला-पटरी व्यवसायी संघ के संस्थापक सचिव प्रमोद निगम की गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना भारतीय शिक्षा मंदिर स्कूल के पास हुई। बताया जाता है कि प्रमोद का नंदलाल राय से किसी बात को लेकर विवाद हुआ था। मामला इतना बढ़ा कि नंदलाल ने धमकी दी और कुछ घंटों बाद शेषनाथ शर्मा के साथ मिलकर प्रमोद की हत्या कर दी। इस निर्मम घटना ने पूरे शहर को झकझोर दिया था।
पुलिस जांच और गिरफ्तारी
सिगरा पुलिस ने तुरंत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। गहन छानबीन के बाद नंदलाल राय उर्फ बबलू राय (नेवादा, लंका) और शेषनाथ शर्मा (चंदुआ छित्तुपुर, सिगरा) को गिरफ्तार किया गया। दोनों पर हत्या का आरोप सिद्ध करने के लिए अभियोजन पक्ष ने मजबूत सबूत पेश किए।
कोर्ट में चला लंबा मुकदमा
अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह और ओंकार तिवारी ने पैरवी की। 12 गवाहों के बयानों में चश्मदीद हिमांशु श्रीवास्तव का बयान निर्णायक साबित हुआ। कोर्ट ने पिछले सुनवाई में दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया था और आज सजा का ऐलान किया। फैसले के बाद दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
परिवार को मिली राहत
प्रमोद निगम के बेटे अभिषेक निगम ने फैसले पर संतोष जताया। उन्होंने कहा, “आठ साल लंबा इंतजार था, लेकिन आज इंसाफ मिला। कोर्ट ने आरोपियों को उम्रकैद और जुर्माने की सजा दी है। यह मेरे पिता को सच्ची श्रद्धांजलि है।”
एक सबक, एक उम्मीद
यह फैसला न केवल प्रमोद निगम के परिवार के लिए न्याय का प्रतीक है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि अपराध का अंत हमेशा सजा के साथ होता है। वाराणसी की सड़कों पर उस दिन गूंजी गोली की आवाज आज इंसाफ की गूंज में बदल गई।