लखनऊ, 27 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती का दंश सिर्फ आम जनता ही नहीं, बल्कि खुद ऊर्जा मंत्री एके शर्मा भी झेल रहे हैं। नहीं, बात बिजली कटौती की नहीं, बल्कि अधिकारियों की मनमानी की है, जो मंत्री के निर्देशों को भी ठेंगा दिखा रहे हैं। तेज गर्मी और उमस के बीच घंटों की बिजली कटौती ने जनता का जीना मुहाल कर दिया है, लेकिन शिकायतों का समाधान तो दूर, अधिकारी मंत्री को ही गुमराह कर रहे हैं।
मंत्री का दर्द: झूठ बोल रहे अधिकारी
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी पीड़ा जाहिर की है। उन्होंने खुलासा किया कि बिजली कटौती को लेकर होने वाली बैठकों में अधिकारी उनसे झूठ बोल रहे हैं। गलत और अव्यवहारिक निर्णयों के कारण जनता को परेशानी हो रही है। मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि उनके बार-बार लिखित और मौखिक निर्देशों के बावजूद अधिकारी गलत फैसले ले रहे हैं। इतना ही नहीं, कई अधिकारी फोन तक नहीं उठाते, जिससे समस्याओं का समाधान और मुश्किल हो रहा है।
मंत्री ने एक ऑडियो क्लिप भी साझा की, जिसमें बस्ती जिले के एक सुपरिटेंडिंग इंजीनियर प्रशांत सिंह एक रिटायर्ड अधिकारी की शिकायत पर टालमटोल करते सुनाई दे रहे हैं। इस मामले में कार्रवाई करते हुए प्रशांत सिंह को निलंबित कर दिया गया है।
जनता त्रस्त, नियमों की अनदेखी
सरकार का दावा है कि शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे, तहसील स्तर पर 22 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे बिजली आपूर्ति का निर्देश है। जून में बिजली की मांग 32,000 मेगावॉट प्रतिदिन तक पहुंची, जिसके लिए 16,930 मिलियन यूनिट बिजली दी गई। सरकार का कहना है कि न तो बिजली की कमी है और न ही संसाधनों की, फिर भी शहरी इलाकों में 10-10 घंटे की कटौती आम बात हो गई है।
सीएम योगी का सख्त रुख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में उन्होंने स्पष्ट कहा कि ट्रिपिंग के नाम पर लंबी कटौती बर्दाश्त नहीं होगी। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि लापरवाही पर सख्त कार्रवाई होगी। बावजूद इसके, बिजलीकर्मी अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे।
क्या होगा सुधार?
मंत्री की इस दर्दभरी पोस्ट और एक अधिकारी के निलंबन के बाद अब सवाल यह है कि क्या बिजली व्यवस्था में सुधार होगा? या फिर जनता को गर्मी, उमस और अंधेरे की त्रासदी झेलनी पड़ेगी? फिलहाल, जनता और मंत्री दोनों की सुनवाई का इंतजार है।