हसमुख उवाच
किसी जमाने में नास्तिक दर्शन के आचार्य चार्वाक ने कहा थ’जब तक जियो, सुख से जियो,कर्ज लेकर घी पियो’!कर्ज के इस दर्शन, सिदधान्त ने धीरे धीरे बहुत प्रगति की है, इतनी प्रगति की है कि उधार यानि कर्ज आज के युग में कला और विज्ञान भी बन गया है, काफी लोगों ने इस कला और विज्ञान के द्वारा इस क्षेत्र में खूब नाम कमाया और यश भी कमा लिया, इसमे विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे उधार विज्ञानी और कलाकारों के नाम उल्लेखनीय है क्योंकि उनहोने उधार मारकर खूब नाम और धन अर्जित किया और सिद्ध किया कि उधार लेकर कैसे अमीर बना जा सकता है! हमारे देश में उधार के लिए अंगरेजी का शब्द प्रयोग किया जाता है ” लोन! इसका संन्धि विच्छेद करने अर्थ यही निकलता है लो न’ और लोग ले लेते हैं! यह समझकर कि लोन नाम की यह धनराशि बैंकों को वापस करने के लिए नही ली जाती, यह हड़पने के लिए ली जाती है, बैक को यदि कोई ईमानदारी से लोन लेने वाला एक मुश्त लोन वापस करने लगता है तो बैंक अधिकारी उस शख़्स को दुनिया का आंठवां अजूबा समझते हैं, उसे पुन:लोन लेने की प्रेरणा देते हैं, यदि वह मना करे तो उसके पीछे उसे कोसते हैं, और शायद सोचते हैं कि लोन अदा करने वाले को लोन मारने का महत्व ही नहीं पता है, पुराने जमाने का दकियानूस प्राणी है, बैंक वाले तो कार के लिए, मोबाइल के लिए, मकान के लिए, मोटर साइकिल के लिए, पढ़ाई आदि के लिए मौके देते हैं कि’_”अरे,बेवकूफ़, किसी का तो पैसा मार ‘ लेकिन ऐसा नही है कि सभी लोग बेवकूफ़ होते है, कुछ उधार विज्ञान के मर्म ज्ञ और उधार मांग कर डकार जाने वाले कुशल कलाकार भी होते हैं, कुछ लोग कचहरी जाकर तो कुछ आंदोलन करके कर्ज माफी की मांग करते है, इन लोगों के चेहरे पर मासूमियत और बेशर्मी इतनी होती है कि कयी नेता और कयी राजनीतिक दल भी इनके समर्थन में आवाज उठाने लगते हैं, कर्ज मारने वाले ऐसे वैज्ञानिक और कलाकारों के कारण देश की बैंकों का करोड़ों अरबो रुपया बटटे खाते में जाकर वीरगति को प्राप्त हो जाता है!
उधार के धन को पाकर लोग भले ही अमीर बनते हो या न बनते हों परंतु उधार से बढिया कार, बढिया मकान आदि दिखाकर अमीर जैसे अवश्य नजर आने लगते हैं, अमीरी के दिखावे के लिए उधार लेना आजकल अनुचित भी नहीं माना जाता, अरे भाई, सभी लोन लेते हैं, लोन लेना गुनाह थोड़े ही है,माना यही जाता है कि “जेब फटे तो फटे, पर पोजीशन नहीं घटे “
सड़क पार करते समय सड़क पर अनेक लोन की कारें गुजरती है, इनके कारण बिना मरे सड़क पार करनी पड़ती है, क्योंकि सड़के इतनी नहीं है जितनी कि लोन से ली गयी कारें दौड़ती हैं, मकान, दुकान, बाईक, पढाई लिखाई में बैंक की किशते चाहें आदमी को कितना ही टेंशन देती हों परंतु लेने वाला वीरता पूर्वक इस टेंशन को झेलता है लेकिन अपनी पोजीशन पर आंच नहीं आने देता!
कयी बड़े घुटे हुए उधार के वैज्ञानिक होते हैं, वह लोग परेशानी या तनाव से मुक्त दीखते है ऐसे ही एक सज्जन से हमने पूछा “आपके ऊपर बैंक तथा लोगों का इतना उधार है,आपको तो नींद भी नहीं आती होगी? ” “ऐसी कोई बात नहीं है ” उन्होंने मुस्कराते हुए कहा “मै बड़े आराम से और गहरी नींद में सोता हूं “!
हमने आशचर्य से पूछा ” ऐसा क्यो, उधार की चिंता से आपको कैसे नींद आ जाती है? “
इस बार उन्होंने उत्तर दिया _”मै चिंता नहीं करता, चिंता उसे करनी होती हैं जिसे लिया गया लोन वापस करना होता है “।ऐसे लोगो की बाते सुन कर मानना ही पड़ता है कि भारत में उधार विज्ञान ने अपार तरक्की और लोकप्रियता प्राप्त कर ली है!
कुछ उधार के कलाकार उधार ले लेकर ही अपनी जिंदगी चलाते है, उनके उधार लेने और देने का अपना अंदाज होता है, ऐसे शख़्स किसी से कुछ लाख उधार लेते हैं, कार या बाईक खरीद लेते हैं जब लाख रुपये देने वाला अपना पैसा मांगता है तो उस लिए लाख रुपये से दुगुना किसी से मांग कर पहले लाख वाले को पैसा देकर अपनी गुडविल बनाते है ताकि देने वाला उन्हें ईमानदार समझ कर आगे भी लाखो उधार दे सके, ऐसे लोग शानदार कारों में घूमते है और शानदार फ्लैट में रहते नजर आते हैं, दिखावे की यह अमीरी उनके सफारी सूट, अंगुलियों में सोने की अंगूठियों, शानदार कारों के जरिए खूब नजर आंती हैं, इनके इस दिखावे पर बैंक भी फिदा हो जाते हैं और लोग भी! संकट आने पर ऐसे ही लोगों में से विजय माल्या और नीरव मोदी जन्म लेते हैं, भले ही सरकार इनके पीछे पड़ी हो परंतु ये देश विदेश में ठाट की जिन्दगी गुजारते हैं, हमारे देश में उधार के विज्ञान और कला के विकसित होने का ऐसे लोग आदर्श हैं! उधार का विज्ञान और कला हमारे देश में कब तक चलेंगे, कहा नही जा सकता लेकिन ऋण योजनाएं इस अभियान को जारी रखे हुए हैं, इसीलिए अभियान चल रहे हैँ इतने उधार के, कितने अमीर बन गये पैसे को मार के!