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Thursday, June 26, 2025

पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी का निधन, लोग बोले- एक युग का हुआ अंत

उत्तर प्रदेश सरकार में पांच बार कैबिनेट मंत्री और राजनीति के बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मंगलवार की शाम अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। निधन की सूचना मिलने के बाद भी लोगों को एकबार में यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसी दुखद घटना हो गई है।

मंगलवार को शाम 7:30 बजे तक पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी की मौत की खबर आम हो गई। इसके बाद तो उनके आवास तिवारी हाता की ओर जाने वाले रास्ते पर गाड़ियों की लंबी कतार देखी गई। शहर में सबकी जुबां पर एक ही सवाल था कि क्या सच में तिवारी जी नहीं रहे?

हरिशंकर तिवारी के पैतृक गांव टांडा, बड़हलगंज से काफी संख्या में लोग तिवारी हाता पहुंच रहे थे। तिवारी के करीबी रामानुज त्रिपाठी अस्पताल से सीधे हाता ही चले आए। हाता पहुंचने वालों के मन में एक ही इच्छा कि पंडित जी के अंतिम दर्शन हो जाए। कोई बैठकर रो रहा था तो कोई आंसुओं के साथ अंदर दाखिल हो रहा था। पूर्व मंत्री के शव के पास बैठे उनके बड़े पुत्र कुशल तिवारी और भांजे, विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय लोगों को ढांढस बंधाते नजर आए। वहीं, किनारे खड़े विनय शंकर तिवारी खुद को संभालते नजर आए।

क्या बूढ़ा और क्या जवान, सबकी आंखें नम थीं। रोते हुए सबके जुबान से एक ही बात निकल रही थी कि एक युग का अंत हो गया। इनके जैसा नेता, समाजसेवी दूसरा नहीं हो पाएगा। उधर, परिवार के सदस्यों का मोबाइल फोन लगातार बज रहा था। फोन करने वाला हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा था, कुछ बात सुना हूं, क्या सही है? विनय शंकर का मोबाइल लिए प्रह्लाद कॉल उठाते और एक ही जवाब देते, हां अब बाबा जी नहीं रहे।

कुछ ही देर बाद राज्यसभा सदस्य डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल, पूर्व मेयर डॉ. सत्या पांडेय पहुंचीं। इनके चेहरे पर गम साफ नजर आ रहा था। यूपी बार काउंसिल के चेयरमैन मधुसूदन त्रिपाठी, देवरिया के सांसद व पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी, सपा के पूर्व जिला अध्यक्ष व पूर्व विधायक डॉ. मोहसिन खान, भाजपा नेता भानू प्रकाश पांडेय ने भी हाता पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

मैं हरिशंकर को साइकिल से लेकर जाता था : रामसमुझ
वॉकर से पहुंचे राम समुझ शुक्ला कहते हैं कि बाबू साइकिल से हरिशंकर को लेकर मैं एयरफोर्स के पास जाता था। पहला ठेका उन्हें तब वहीं का मिला था। उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि न कोई दोस्त था, न कोई दुश्मन। सबको एक नजर से देखते थे। सही के साथ खड़ा रहने की उनकी अलग ही क्षमता थी। यही वजह है कि उन्हें लोग प्यार करते थे। आखिरी बार दो महीने पहले मिलने पहुंचा था, लेकिन उनकी तबीयत ठीक नहीं थी, इस वजह से मिल नहीं पाया।

और अपनी गाड़ी से इलाज के लिए भेजा
पूर्व प्राचार्य परमानंद दुबे ने बताया कि मुझे आज भी याद है, चिल्लूपार में पंडित जी की एक सभा थी। मंच पर जाने से पहले उनकी नजर एक बीमार शख्स पर पड़ गई। पास जाकर पूछे तो पता चला कि बीमार है और गरीबी की वजह से इलाज नहीं करा पा रहा है। इसके बाद पंडित जी ने अपनी कार से उसे गोरखपुर डॉक्टर के पास भेजे। पूरा उपचार कराया, जिससे उसकी जान बच गई। इस तरह से वह हमेशा आम लोगों के लिए खड़े रहते थे।

जिन्ह मोहि मारा, ते मैं मारे
अवस्थी गांव के रामप्रवेश पांडेय बताते हैं कि मेरे भाई दाढ़ी बाबा के साथ पंडित जी पढ़े थे। उनकी एक बात आज भी याद है। देवरिया जेल से जब वह चुनाव मैदान में आए थे, तो जेल से लिखी चिट्टी में लिखा था कि जिन्ह मोहि मारा, ते मैं मारे। इस दोहे के साथ उन्होंने बताया कि अब वह क्या सोच रहे हैं। इसके बाद गांव के सभी लोग उनके साथ लग गए। हम लोगों ने प्रचार किया। हरिशंकर तिवारी ने सबका साथ दिया। कभी भी कोई उनके पास मदद के लिए पहुंचा तो निराश नहीं हुआ।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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