पूजा यादव मर्डर मिस्ट्री ने फिल्मी कहानी को भी कर दिया फेल… विवेचक ने भी किया खेल!
लाखों रुपये कमाने की चाह में बेटे की शादी, बीमा और फिर बहु की हत्या…
लखनऊ, 2 अक्टूबर। कहते है ना अपराधी कितना भी शातिर हो। कानून के हाथ इतने लंबे होते है कि वह एक ना एक दिन जरुर पकड़ा जाता है। मटियारी में कार हादसे में महिला की मौत पुलिस की तफ्तीश में मर्डर निकला। जबकि, पूजा यादव की हत्या को आरोपियों ने हादसा बताया था। पुलिस ने भी अपनी विवेचना में हादसे पर मुहर लगा चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इसके पीछे विवेचक का बड़ा खेल रहा। उधर, बीमा कंपनी की शिकायत के बावजूद अफसर भी बेखबर रहे। छह महीने तक जांच ठंडे बस्ते में पड़ी रही। वर्तमान डीसीपी को जब मामले की जानकारी हुई तब टीम गठित कर जांच शुरू कराई, एक महीने के भीतर वारदात का खुलासा हो गया।
चिनहट पुलिस ने एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री का खुलासा किया है, जिसकी कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। पति और ससुर ने साथियों की मदद से मटियारी में महिला को कार से कुचल कर मार डाला और हत्या को सड़क हादसा बता चिनहट थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई। साथ ही बीमा कंपनी में महिला के इंश्योरेंस के 50 लाख रुपये का क्लेम कर दिया।
बीमा कंपनी को घटनाक्रम पर शक हुआ तो पुलिस से शिकायत की। चिनहट पुलिस की जांच में सारा खेल खुल गया। पुलिस ने मंगलवार को मामले के मुख्य साजिशकर्ता, फर्जी चालक और वकील को चिनहट इलाके से गिरफ्तार किया है। पति, ससुर और चार पहिया वाहन से महिला को कुचल कर हत्या करने वाले को पुलिस तलाश रही है।
अयोध्या का रहने वाला राम मिलन राज मिस्त्री है। वह अयोध्या से लखनऊ मकान बनाने के लिए आया था। वह परिवारीजनों के साथ चिनहट स्थित मटियारी में ही बस गया। इस दौरान उसकी मुलाकात रियल एस्टेट का काम करने वाले चिनहट निवासी कुलदीप से हुई। वह भांप गया था कि राम मिलन जल्दी अमीर बनना चाहता है। उसने राम मिलन को पूरी योजना बताई और बेटे अभिषेक की शादी करने को कहा। साजिश को बिना किसी गलती के पूरा करने के लिए वकील आलोक निगम को सलाह देने के लिए शामिल किया गया। राम मिलन ने अयोध्या में अपनी ससुराल में बेटे की शादी के लिए पूजा नाम की लड़की को खोजा। इसके बाद कुलदीप ने अभिषेक की शादी वर्ष 2021 में पूजा (28) से करवा दी।
अप्रैल 2022 में पूजा की शादी के एक महीने के भीतर 50 लाख का बीमा, मुद्रा लोन और छह वाहन पूजा के नाम पर आरोपियों ने खरीदे थे। 20 मई 2023 को पूजा की हत्या करने के बाद नवंबर 2023 में बीमा क्लेम किया था। तकरीबन छह महीने पहले बीमा कंपनी ने आरोपियों का खेल पकड़ लिया था। तब पुलिस से शिकायत की थी, लेकिन अफसर बेखबर रहे। किसी ने संज्ञान नहीं लिया। इससे पहले केस के विवेचक मुकेश पाल ने चार्जशीट लगा दी थी। सूत्रों के मुताबिक लाभ लेकर मामला रफादफा भी किया। क्योंकि जो साक्ष्य सामने थे, उनको विवेचना के दौरान दरकिनार किया गया। इसी से विवेचक की मंशा पर सवाल खड़े हुए हैं।
सूत्रों के मुताबिक मामले में कहीं न कहीं विवेचक की मिलीभगत रही। इसलिए गहनता से तफ्तीश नहीं की। हादसे की दर्ज एफआईआर में अगर सीसीटीवी फुटेज जुटाईं होतीं, आरोपी दीपक के बारे में पता किया होता और जिस कार से हादसा हुआ था उसके मालिक से जानकारी ली होती तो कई जानकारियां मिल जातीं। इससे साजिश का खुलासा हो सकता था, लेकिन विवेचक भी वही करता रहा जो आरोपी चाहते थे। हादसे की धारा में ही चार्जशीट लगाकर मामला रफादफा कर दिया था।
चिनहट इंस्पेक्टर अश्विनी चतुर्वेदी ने बताया कि जब पुलिस को सूचना दी गई थी तब बताया गया था कि पूजा अपने ससुर राम मिलन के साथ दवा लेने जा रही थीं। तभी एक कार ने उनको कुचल दिया था। कार चालक दीपक वर्मा को पकड़वाया भी गया था। पुलिस ने विवेचना की और दीपक के खिलाफ चार्जशीट लगा दी। इधर जब पूजा के पति ने बीमा क्लेम की प्रक्रिया शुरू की तो पता चला कि वही दीपक पूजा और अभिषेक की शादी में गवाह था। ये गले नहीं उतरा। जब जांच हुई तो पता चला कि दीपक को ड्राइवर बनाकर पुलिस को सौंपा गया था। उसको एक कार देने का लालच दिया गया था। पता था कि एक्सीडेंट के मामले में जेल जाना नहीं पड़ेगा, थाने से ही जमानत मिल जाएगी। इसलिए दीपक राजी हो गया था।
पुलिस के मुताबिक, बीमा कंपनी ने जब पूजा और उसके पति अभिषेक के परिवार की आर्थिक स्थिति देखी तो भी शक हुआ था। सभी मजदूरी करते थे। ऐसे में उन पर मुद्रा लोन, छह गाड़ियों का फाइनेंस होना सवाल खड़ा कर रहा था। इसको भी अपनी जांच रिपोर्ट में बीमा कंपनी के अफसरों ने प्रमुखता से दर्ज किया था।
डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह ने बताया आरोपी कुलदीप ने ही वर्ष 2021 में राम मिलन को ऐसी वारदात करने के बारे में बताया था। तब राम मिलन ने बेटे से बात की। वह भी राजी हो गया। उन्होंने अयोध्या की पूजा को शादी के लिए खोजा। जब पूजा से शादी तय हो गई तब कुलदीप ने अपने स्तर से ही उसके सारे जाली डॉक्यूमेंट्स बनाए। आईटीआर भरने लगा। यहां तक कि जो बैंक खाते पूजा के नाम पर थे उनको वह खुद ही ऑपरेट करता था।
बीमा कंपनी ने जब संदेह जताकर पुलिस से शिकायत की तो अफसर सक्रिय हुए। केस से जुड़े लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया। सबसे पहले दीपक से पूछताछ की, क्योंकि हादसे वाले केस में वही बतौर चालक आरोपी था। इंस्पेक्टर चिनहट अश्वनी कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि मामले की जांच दोबारा शुरू की गई। घटना के दिन की सीडीआर निकाली गई। घटना के दिन भी 6 आरोपित एक दूसरे से लगातार बात कर रहे थे। उनकी लोकेशन घटनास्थल के आसपास ही मिली। इसे बाद पुलिस ने एक- एक करके आरोपितों से पूछताछ की। आरोपितों के बयान हादसे के संबंध में अलग-अलग थे। इसके बाद अन्य तथ्यों को लेकर भी अन्य आरोपितों के बयान मेल नहीं खा रहे थे।
पुलिस ने पकड़े गए आरोपितों मुख्य साजिशकर्ता प्रॉपर्टी डीलर कुलदीप सिंह, फर्जी सरेंडर करने वाले चालक दीपक वर्मा और वकील आलोक निगम से कड़ाई से पूछताछ की तो उन्होंने पूरी कहानी बयां कर दी। आरोपितों ने पुलिस को यह भी बताया उन्हें पूजा के बीमा के 10 लाख रुपये उन लोगों को मिले थे, जिसे आपस में बांट लिया है। इस मामले में आरोपित ससुर राम मिलन, पति अभिषेक और कार से कुचल कर हत्या करने का आरोपित अभिषेक शुक्ला फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश कर रही है। आरोपितों से दो चार पहिया वाहन और एक दो पहिया वाहन बरामद किया गया है।
डीसीपी ने बताया कि पूजा की हत्या के बाद आरोपियों दीपक, अभिषेक शुक्ला, राम मिलन, अभिषेक और कुलदीप ने पंचायत नामा भी भरा। तफ्तीश में पता चला कि अभिषेक शुक्ला अपने परिचित विजय बहादुर की कार मांगकर लाया था। वारदात के बाद विजय बहादुर से बोला कि मामूली एक्सीडेंट हुआ है। फिर कार रिपेयर करवाकर वापस दे दी गई। डीसीपी ने कहा कि मामले में विवेचक के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
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