नई दिल्ली, 25 मार्च 2025, मंगलवार। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत धन आवंटन को लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सवालों का करारा जवाब दिया। यह मुद्दा तब सुर्खियों में आया जब चौहान ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का गंभीर आरोप लगाया, जिसके चलते राज्य को मिलने वाली केंद्र की सहायता रोक दी गई है।
चौहान ने आंकड़ों के साथ अपनी बात रखते हुए कहा, “बंगाल के मेरे दोस्त यूपीए और एनडीए सरकारों की तुलना कर रहे थे। अगर 2006-07 से 2013-14 तक पश्चिम बंगाल में केवल 111 करोड़ मानव दिवस सृजित हुए, तो हमारी सरकार ने 239 करोड़ मानव दिवस पैदा किए हैं। जहां पहले 14,985 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था, वहीं हमने पश्चिम बंगाल को 54,515 करोड़ रुपये मुहैया कराए हैं।” उन्होंने साफ किया कि केंद्र सरकार किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं करती, लेकिन इसके लिए पश्चिम बंगाल सरकार को नियमों का पालन सुनिश्चित करना होगा।
यह बयान उस वक्त आया है, जब ममता बनर्जी की सरकार पर मनरेगा फंड्स के दुरुपयोग के आरोप लगातार सामने आ रहे हैं। केंद्र का कहना है कि बंगाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के सबूत मिले हैं, जिसके चलते फंड्स को रोका गया। दूसरी ओर, टीएमसी का दावा है कि यह कदम राजनीति से प्रेरित है और केंद्र जानबूझकर बंगाल को निशाना बना रहा है।
चौहान के इस बयान ने एक बार फिर केंद्र और राज्य के बीच तनातनी को हवा दे दी है। जहां एक तरफ केंद्र सरकार आंकड़ों के साथ अपनी उपलब्धियां गिना रही है, वहीं ममता सरकार पर अनुपालन और पारदर्शिता का दबाव बढ़ता जा रहा है। यह सियासी जंग आगे क्या रंग लाती है, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल बंगाल की सियासत में मनरेगा का मुद्दा गरमाता नजर आ रहा है।