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Wednesday, July 23, 2025

संसद के पास मस्जिद में अखिलेश यादव की कथित बैठक पर सियासी बवाल, केशव प्रसाद मौर्य ने लगाए तुष्टिकरण के आरोप

नई दिल्ली, 23 जुलाई 2025: संसद के मानसून सत्र के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा दिल्ली में संसद भवन के निकट स्थित एक मस्जिद में कथित तौर पर सपा सांसदों के साथ बैठक करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस घटना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और सपा के बीच तीखी राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने इस कथित बैठक पर कड़ा ऐतराज जताते हुए सपा पर धार्मिक स्थल का राजनीतिक उपयोग करने और तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है। वहीं, अखिलेश यादव ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है और आस्था लोगों को जोड़ने का काम करती है।

मस्जिद में बैठक का विवाद

22 जुलाई को अखिलेश यादव, उनकी पत्नी और सपा सांसद डिंपल यादव, रामपुर से सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी, संभल से सांसद शफीकुर रहमान बर्क सहित कई सपा सांसदों के साथ संसद भवन के पास स्थित एक मस्जिद में देखे गए। इस दौरान की तस्वीरें सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा कीं, जिसके बाद यह मुद्दा सुर्खियों में आ गया। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने आरोप लगाया कि अखिलेश ने मस्जिद को “सपा का कार्यालय” बना दिया है और इसे राजनीतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया गया, जो संविधान के खिलाफ है।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “मौलाना अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी तुष्टिकरण की राजनीति करती है। मस्जिद में मौलाना के साथ बैठकर वे दिखाने की कोशिश करते हैं कि वे मुसलमानों के साथ हैं। सपा का चरित्र हमेशा से हिंदू विरोधी रहा है।” मौर्य ने यह भी कहा कि संविधान में स्पष्ट है कि धार्मिक स्थलों का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता।

अखिलेश का पलटवार

अखिलेश यादव ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “आस्था जोड़ती है और जो आस्था जोड़ने का काम करती है, हम उसके साथ हैं। भाजपा को यही तकलीफ है कि कोई जुड़े नहीं, लोग बंटे रहें। हमारी सभी धर्मों में आस्था है।” उन्होंने यह भी टिप्पणी की, “अगर भाजपा को मीठे से तकलीफ है, तो क्या हम मीठा छोड़ देंगे?” सपा सांसद जिया उर्र रहमान ने दावा किया कि मस्जिद में कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई थी, बल्कि यह केवल एक दौरा था। उन्होंने कहा, “सपा को हिंदू और मुस्लिम दोनों का वोट मिलता है। हम उसूलों की राजनीति करते हैं, न कि धर्म के नाम पर बांटने की।”
सपा सांसद राजीव राय ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “क्या अब हमें मंदिर-मस्जिद जाने के लिए भाजपा से लाइसेंस लेना होगा?”

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा और वक्फ बोर्ड का विरोध

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने इस कथित बैठक का विरोध करते हुए मांग की कि रामपुर के सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी को मस्जिद के इमाम पद से हटाया जाए, क्योंकि वे इस घटना में शामिल थे। सिद्दीकी ने घोषणा की कि 25 जुलाई को जुमे की नमाज के बाद उसी मस्जिद में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा विरोध प्रदर्शन करेगा।

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने भी इस घटना की निंदा की और इसे मुस्लिम भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया। उन्होंने कहा, “मस्जिदें आस्था का केंद्र हैं, जहां नमाज पढ़ी जाती है, न कि राजनीतिक चर्चाएं होती हैं। अखिलेश यादव को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।”

डिंपल यादव के परिधान पर भी विवाद

विवाद को और हवा तब मिली जब कुछ लोगों ने डिंपल यादव के मस्जिद में सिर न ढकने को लेकर सवाल उठाए। तस्वीरों में दिखा कि डिंपल यादव बिना सिर ढके मस्जिद में मौजूद थीं, जबकि उनके पास बैठी एक अन्य सांसद का सिर ढका हुआ था। इस पर कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने सपा की मंशा पर सवाल उठाए।

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