बेंगलुरु, 1 जुलाई 2025: कर्नाटक की सियासत में एक बार फिर उबाल आ गया है। मुख्यमंत्री बदलने की मांग ने कांग्रेस के भीतर खींचतान को हवा दे दी है। डीके शिवकुमार के समर्थक अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं, जबकि पार्टी हाईकमान ने विवाद सुलझाने के लिए रणदीप सुरजेवाला को दूत बनाकर भेजा है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने साफ किया कि नेतृत्व पर फैसला सिर्फ हाईकमान लेगा। लेकिन शिवकुमार गुट ने दावा ठोक दिया है कि उनके साथ 100 विधायक हैं, जो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं। शिवकुमार के करीबी विधायक इकबाल हुसैन ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, “अगर अब बदलाव नहीं हुआ, तो 2028 में कांग्रेस की वापसी मुश्किल हो जाएगी।”
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा थी, लेकिन सिद्धारमैया को कमान सौंपी गई। तब से ही शिवकुमार खेमे में नाराजगी सुलग रही है। समर्थकों का दावा है कि सिद्धारमैया को ढाई साल के लिए सीएम बनाया गया था, और अब समय है कि शिवकुमार को मौका मिले।
हाईकमान की शांति की कोशिश, सिद्धारमैया की सफाई
दिल्ली से आए रणदीप सुरजेवाला ने विधायकों से मुलाकात कर माहौल शांत करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “मैं संगठन को मजबूत करने आया हूं, इसे नेतृत्व परिवर्तन से न जोड़ा जाए।” उधर, सिद्धारमैया ने भी दावा किया कि उनके और शिवकुमार के बीच कोई मतभेद नहीं है। लेकिन अंदरखाने चल रही खींचतान को छिपाना मुश्किल हो रहा है।
शिवकुमार के समर्थकों ने हाईकमान को दोटूक संदेश दिया है कि अगर अब सत्ता की बागडोर नहीं सौंपी गई, तो पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। हुसैन ने कहा, “हम हाईकमान का सम्मान करते हैं, लेकिन कर्नाटक की सच्चाई उनके सामने रखेंगे।” क्या कर्नाटक में कांग्रेस का सियासी ड्रामा जल्द थमेगा, या यह और गहराएगा? सभी की निगाहें अब दिल्ली और बेंगलुरु के बीच चल रहे इस सियासी दांवपेच पर टिकी हैं।