वाराणसी, 25 जुलाई 2025: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में नई कार्यकारिणी परिषद (ईसी) की नियुक्तियों को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और बीजेपी के खिलाफ तीखा हमला बोला है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, वाराणसी के मेयर अशोक तिवारी और बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए इसे बीएचयू का “आरएसएस करण” करार दिया है।
क्या है विवाद?
शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के निर्देश पर बीएचयू की कार्यकारिणी परिषद में आठ सदस्यों की नियुक्ति की। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, मेयर अशोक तिवारी, बीजेपी नेता दिलीप पटेल और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह जैसे नाम शामिल हैं। लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि इन नियुक्तियों से विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गरिमा को ठेस पहुंच रही है। अजय राय ने तंज कसते हुए कहा, “जो मेयर शहर में जलभराव का समाधान नहीं कर पाए, वो बीएचयू को क्या दिशा देंगे?”
गैंगरेप आरोपी के रिश्तेदार पर सवाल
विवाद तब और गहरा गया, जब अजय राय ने दिलीप पटेल को बीएचयू परिसर में गैंगरेप के आरोपी सक्षम पटेल का रिश्तेदार बताया। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसी नियुक्तियां महिलाओं की सुरक्षा के प्रति पार्टी की मंशा को उजागर करती हैं। राय ने इसे विश्वविद्यालय को “आरएसएस का अड्डा” बनाने की साजिश करार दिया।
कांग्रेस की मांग: योग्य शिक्षाविदों को मौका दो
कांग्रेस ने मांग की है कि बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पद्म पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिकों, प्रोफेसरों और शिक्षाविदों को कार्यकारिणी में शामिल किया जाए। राय ने कहा, “देश में हजारों योग्य विद्वान हैं, लेकिन बीजेपी ने राजनेताओं को प्राथमिकता दी। यह शिक्षा के साथ खिलवाड़ है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील की और इन नियुक्तियों को तत्काल रद्द करने की मांग की।
कुलपति और काउंसिल का गोलमाल
अजय राय ने एक और गंभीर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “जब बीएचयू में स्थायी कुलपति थे, तब कार्यकारिणी परिषद नहीं थी। अब परिषद बन गई, तो कुलपति कार्यवाहक हैं। यह विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और शैक्षणिक माहौल पर सवाल उठाता है।” उनका कहना है कि बीएचयू जैसे वैश्विक शोध केंद्र को राजनेताओं के बजाय शिक्षाविदों के हाथों में होना चाहिए।
कौन हैं नई काउंसिल के सदस्य?
नई कार्यकारिणी परिषद में शामिल प्रमुख नाम हैं:
- डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय: पूर्व केंद्रीय मंत्री और चंदौली के पूर्व सांसद।
- अशोक तिवारी: वाराणसी के मेयर।
- दिलीप पटेल: बीजेपी क्षेत्रीय अध्यक्ष, आदर्श जनता महाविद्यालय, चुनार के अध्यक्ष।
- प्रो. योगेश सिंह: दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति।
- प्रो. ओमप्रकाश भारतीय और प्रो. श्वेता प्रसाद: बीएचयू के समाजशास्त्र विभाग से।
- प्रो. बेचन लाल (सेवानिवृत्त): बीएचयू के प्राणीशास्त्र विभाग।
- प्रो. उदय प्रताप शाही (सेवानिवृत्त): बीएचयू के रेडियोथेरेपी विभाग।
कांग्रेस का आंदोलन का ऐलान
अजय राय ने चेतावनी दी कि कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने कहा, “सड़क से संसद तक, हम बीएचयू को बचाने के लिए आंदोलन करेंगे। यह सिर्फ आज का नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का सवाल है।” कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार की नीतियां शिक्षा को कमजोर कर रही हैं, और बीएचयू जैसे संस्थानों का राजनीतिकरण इसका जीता-जागता सबूत है।
आगे क्या?
बीएचयू के इस विवाद ने एक बार फिर शिक्षा और राजनीति के बीच टकराव को उजागर किया है। क्या केंद्र सरकार कांग्रेस की मांगों पर ध्यान देगी, या यह सियासी जंग और तेज होगी? यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल, बीएचयू का यह मुद्दा न केवल काशी बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।