गोरखपुर, 19 दिसंबर 2024, गुरुवार। लखनऊ में विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए 28 वर्षीय कांग्रेस कार्यकर्ता प्रभात पांडे का गुरुवार को गोरखपुर में उसके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किए जाने के दौरान अफरा-तफरी फैल गई। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय राय की मौजूदगी पर लोगों ने नाराजगी जाहिर की और उन पर राजनीतिक लाभ के लिए इस त्रासदी का फायदा उठाने का आरोप लगाया।
प्रदर्शनकारियों ने अजय राय को चिता के पास जाने से रोक दिया और उन्हें श्रद्धांजलि देने की अनुमति देने से पहले उन्हें अपना जनेऊ दिखाना पड़ा। इस घटना के दौरान, प्रभात के परिवार के सदस्यों ने भी अपने दुख को व्यक्त किया। उनके पिता दीपक पांडे ने कहा, “यह मेरे कर्मों का फल है। मेरा इकलौता बेटा चला गया है।” इस घटना ने राजनीतिक दलों के बीच तनाव बढ़ा दिया है और लोगों में आक्रोश फैल गया है।
प्रभात पांडे की मौत: राजनीतिक तनाव गहराया, कांग्रेस ने की निष्पक्ष जांच की मांग!
बता दें, बुधवार को प्रभात की मौत को लेकर उठे विवाद ने राजनीतिक तनाव को और गहरा कर दिया है। प्रभात के परिवार को साजिश का संदेह है और उन्होंने प्रभात की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग की है। इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या संबंधी एफआईआर दर्ज की गई है। कांग्रेस नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा, “उत्तर प्रदेश में एक बार फिर लोकतंत्र और संविधान की हत्या हुई है। कांग्रेस के बहादुर शेर अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।” अजय राय ने सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “यह मौत नहीं, बल्कि हत्या है। प्रभात ने अपने साथियों को बताया था कि पुलिस ने उसे पीटा जिससे वह बेहोश हो गया”।
प्रभात पांडे की संदिग्ध मौत: पुलिस बर्बरता या कोई और कारण?
गौरतलब है कि, उत्तर प्रदेश में एक दुखद घटना घटी है, जिसमें युवा कांग्रेस के सक्रिय सदस्य प्रभात पांडे की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। प्रभात लखनऊ में अपने चाचा के साथ रहता था और कंप्यूटर कोर्स कर रहा था। उत्तर प्रदेश विधानसभा के पास कांग्रेस के प्रदर्शन में शामिल पार्टी के कार्यकर्ता प्रभात की बुधवार को मौत हो गई थी। पार्टी ने ‘पुलिस बर्बरता’ के कारण कार्यकर्ता की मौत होने का दावा किया है। वहीं, इस मामले में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रभात के चाचा मनीष पांडे ने सवाल उठाया है कि अगर प्रभात कांग्रेस कार्यालय में दो घंटे तक बेहोश रहा, तो उसे पहले अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया? यह सवाल उठता है कि प्रभात की मौत के पीछे क्या सचमुच पुलिस बर्बरता थी या कोई और कारण था।