हक़ीक़त छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से, कि ख़ुशबू आ नहीं सकती कभी काग़ज़ के फूलों से… सूफ़ी तबस्सुम का लिखा ये शेर ज्ञानवापी मुद्दे पर बड़ा सटीक बैठता है। तभी तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर बड़ी बात कह दी है। सीएम योगी ने कहा कि यह मस्जिद नहीं, भगवान शिव का मंदिर है। उनके इस बयान पर सियासत शुरू हो गई है। योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद यूपी के मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कड़ी आपत्ति जताई। बनारस, लखनऊ, बरेली के धर्मगुरुओं ने बयान जारी किए।
वाराणसी में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी मोहम्मद सैयद यासीन ने कहा कि चुनाव का माहौल है, सीएम कल को कह सकते हैं कि ताजमहल शंकराचार्य की समाधि है। यासीन ने तल्ख़ लहज़े में कहा कि योगी महान आदमी हैं। क्या कहा जाए। वह जिस पद पर हैं, उन्हें एहतियात बरतना चाहिए। अफसोस है कि चुनाव और अपनी पॉलिटिक्स की खातिर कोई कुछ भी बोल सकता है। उन पर कोई रोक नहीं। लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि मामला पहले से कोर्ट में है। मस्जिद कोई आज से नहीं, सैकड़ों साल का इतिहास है। नमाज अदा की जा रही है। अजान भी हो रही है। मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि मंदिर-मुस्लिम के मुद्दों पर लोगों को कितना उलझाकर रखेंगे। ये एक बड़ा सवाल है। जब मामला कोर्ट में है, तो इसका सबको ख्याल रखना चाहिए। फिर चाहे वो सीएम ही क्यों न हों।
सीएम योगी के इस बयान पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद एक ऐतिहासिक मस्जिद है, उसकी तारीख कई सौ साल पुरानी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने जो बयान दिया है कि ज्ञानवापी को मस्जिद कहना दुर्भाग्यपूर्ण है यह विश्वनाथ मंदिर है, उनका यह बयान उनकी जुबान से शोभा नहीं देता है। इसलिए कि वो एक जिम्मेदार कुर्सी पर बैठे हुए हैं, वो हर एक व्यक्ति के मुख्यमंत्री है चाहे किसी ने वोट दिया या नही दिया। ज्ञानवापी मस्जिद का मामला न्यायलयों के अधीन विचाराधीन है, ऐसी परिस्थितियों में मुख्यमंत्री के इस बयान से कानून की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है, इसलिए मुख्यमंत्री को चाहिए धार्मिक बयानों से परहेज़ करें।
वहीं, सीएम योगी के बयान पर कांग्रेस नेता दानिश अली ने कहा कि भाजपा के पास और योगी आदित्यनाथ के पास जनता को बताने के लिए कुछ रहा नहीं है। 2024 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में दुर्गति हुई और जो उपचुनाव होने वाले हैं, उससे डर कर इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं… जनता ने मुहर लगा दी है कि ‘काठ की हंडिया बार-बार नहीं चलती’… ये मिली-जुली संस्कृति का देश है। इसलिए मेरा भारत महान है कि यहां पर अलग-अलग धर्म और जात के लोग हैं।
बता दें, ज्ञानवापी का मुद्दा लंबे समय से कानूनी जांच के केंद्र में रहा है, जिसमें हिंदू पक्ष का तर्क है कि ज्ञानवापी मस्जिद पहले से मौजूद मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध किया है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री की टिप्पणी ने एक तरह का विवाद खड़ा कर दिया है। पिछले साल जुलाई में भी योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी को लेकर कहा था कि अगर मैं उसे मस्जिद कहता हूं तो विवाद होगा। भगवान ने जिसको दृष्टि दी है, वो देखे ना। त्रिशूल वहां क्या कर रहा है? हमने तो नहीं रखे। वहां ज्योतिर्लिंग है, देवप्रतिमाएं हैं। दीवारें चिल्ला-चिल्लाकर क्या कह रही हैं? मुझे लगता है कि मुस्लिम पक्ष की ओर से प्रस्ताव आना चाहिए कि साहब ऐतिहासिक गलती हुई है और उसका समाधान हो। बहरहाल, योगी के ज्ञानवापी बयान के वैसे तो कई मायने हैं लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि बीजेपी का एजेंडा क्या है।