वाराणसी, 13 अक्टूबर 2024, रविवार। तुलसी के दौर से चली आ रही विश्व विख्यात नाटी इमली के भरत मिलाप मेले में रविवार भगदड़ मच गई। मेले में श्रीराम के पुष्पक विमान के साथ पहुंचे यादव बंधुओं को पुलिस ने रोक दिया। इसी बात को लेकर यादव बंधुओं और पुलिस के बीच कहासुनी हो गई। देखते ही देखते बात बढ़ने पर धक्का मुक्की होने लगी। इतने में पुलिस ने यादव बंधुओं पर लाठी बरसानी शुरू कर दी। हालांकि, मौके पर मौजूद पुलिस के बड़े अफसरों ने हस्तक्षेप कर स्थिति नियंत्रित कर दिया। वहीं, इस घटना को लेकर समाजवादी पार्टी ने कड़ी निंदा की है। सयुस के प्रदेश महासचिव किशन दीक्षित ने प्रशासन और सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हिंदुत्ववादी सरकार का ढोंग उजागर हो गया। नकाब उतर गया। समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर सवाल खड़ा हुए एक्स पर पोस्ट के जरिए कहा कि 481 साल से चली आ रही परंपरा को आखिर क्यों रोक रही है भाजपा/योगी सरकार ? सपा ने लिखा है कि क्या अब धर्म पालन की परिभाषा भी भाजपा/योगी सत्ता सिखाएगी ? सीएम योगी और भाजपाई जो अपने आपको हिंदुत्व का ठेकेदार बताते हैं उनके ही राज में हिंदू धर्म की परंपराओं पर कुठाराघात हो रहा है और धार्मिक मान्यताओं का हनन हो रहा है एवं धर्म को भाजपा ने सत्ता पाकर धंधा बना दिया है जहां पैसों से ही सब कुछ तय होता है ,आस्था और विश्वास के बजाय भाजपा/योगी सरकार में पैसा ही सबकुछ है।
जानिए क्या है पूरा मामला?
लक्खा मेले में शुमार भरत मिलाप का आयोजन वाराणसी में शुरू हुआ था। जो अलग-अलग रास्तों से होते हुए नाटी इमली मैदान में पहुंचा। इसके पहले मैदान के आसपास के मकानों की छतें भी भर गई थीं। सभी लोग उस पल का इंतजार कर रहे हैं जब राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुधन का मिलन होगा। तभी भरत मिलाप के पूर्व पुष्पक विमान का गेट खोलने के दौरान भगदड़ मच गई। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। इस दौरान कुछ लोगों को हल्की चोटें भी आईं। आयोजन शुरू होने से पहले स्थिति पर काबू पा लिया गया था। श्रीचित्रकूट रामलीला समिति की ओर से होने वाले इस विश्वप्रसिद्ध आयोजन का 481वां वर्ष है। इस आयोजन में काशीराज परिवार के अनंत नारायण सिंह परंपरानुसार हाथी पर सवार होकर शामिल होते हैं।
481 वर्ष पुराना है इतिहास
यह विश्व विख्यात भरत मिलाप मेला का आयोजन 481 वर्ष पुराना है। नाटी इमली के भरत मिलाप की कहानी 481 वर्ष पहले मेघा और तुलसी के अनुष्ठान से आरंभ हुई। पांच टन का वजनी पुष्पक विमान अपने माथे पर धरकर जब यादव बंधु प्रस्थान करते हैं तो पल भर के लिए वक्त ठहर सा जाता है। कहा जाता है कि अस्ताचलगामी भगवान भास्कर भी इस दृश्य को निहारने के लिए अपने रथ के पहियों को थाम लेते हैं। श्रद्धा और आस्था के महामिलन का साक्षी बनने के लिए श्रद्धालुओं का ज्वार ऐसा उमड़ता है कि तिल रखने को जगह नहीं होती।