मोहाली, 31 जुलाई 2025: पंजाब के मोहाली की एक अदालत ने तत्कालीन एसएचओ इंस्पेक्टर जशनप्रीत सिंह को कोर्ट परिसर में चौकीदार पर हमला करने के मामले में कड़ा सबक सिखाया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट संगम कौशल ने इंस्पेक्टर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, जिसमें स्वेच्छा से चोट पहुंचाने, सरकारी कर्मचारी पर हमला और ड्यूटी में बाधा जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। अदालत ने इसे “राज्य के खिलाफ अपराध” करार देते हुए कहा कि इस तरह की हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।
क्या था मामला?
घटना 6 जुलाई को एसएएस नगर कोर्ट परिसर के मुख्य द्वार पर हुई। इंस्पेक्टर जशनप्रीत सिंह को अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की पेशी के दौरान सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस दौरान गेट पर तैनात चौकीदार बलजीत सिंह ने बिना अनुमति चाबियां देने से मना किया। इससे नाराज इंस्पेक्टर ने चौकीदार को थप्पड़ जड़ दिए और कथित तौर पर उसके चेहरे पर दो-तीन घूंसे मारे। इतना ही नहीं, इंस्पेक्टर ने चाबियां छीनकर अपने अधीनस्थ को सौंप दीं और गेट खुलवाया।
“अपराध को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता”
चौकीदार बलजीत ने पहले सिविल जज अनीश गोयल को घटना की जानकारी दी, लेकिन बाद में बयान बदला और शिकायत दर्ज न करने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह घटना व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सार्वजनिक कर्तव्य से जुड़ी थी। हालांकि, अदालत ने पीड़ित के पीछे हटने के बावजूद सख्त रुख अपनाया। जज ने कहा, “यह गैर-समझौता योग्य अपराध है। पीड़ित का समझौता अपराध को खत्म नहीं करता। यह मामला सरकारी कर्मचारी के कर्तव्य में बाधा और न्यायिक परिसर में अधिकारों के दुरुपयोग को दर्शाता है।”
सीसीटीवी फुटेज ने खोली पोल
अदालत ने सीसीटीवी फुटेज, जांच रिकॉर्ड और गवाहों के बयानों के आधार पर फैसला सुनाया। फुटेज में इंस्पेक्टर को चौकीदार का कॉलर पकड़कर उसका पीछा करते और चाबियां छीनते देखा गया। हालांकि फुटेज थोड़ा अस्पष्ट था, लेकिन मारपीट की घटना स्पष्ट थी। इस आधार पर कोर्ट ने इंस्पेक्टर के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।