परिचर्चा में विशेषज्ञों ने कहा – मैं हूँ अभिमन्यु अभियान आम जनता का अभियान बने
इंदौर। महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर नज़र रखने के उद्देश्य से पुलिस ने ब्रीट स्तर पर व्हाट्सअप ग्रुप बनाने का सिलसिला आरम्भ किया है जिसे भविष्य में स्कूल स्तर तक ले जाया जाएगा। पीड़ित बेख़ौफ़ होकर अपने साथ या आसपास होने वाली घटनाओं की जानकारी पुलिस थाने तक पहुंचा सकेंगे जिसमे उनकी पहचान भी गुप्त रहेगी। यह जानकारी म.प्र. पुलिस द्वारा संचालित अभियान “मैं हूँ अभिमन्यु” पर केंद्रित परिचर्चा में एडिशनल डीसीपी, महिला अपराध प्रियंका डूडवे ने दी। स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सुश्री डूडवे ने बताया कि आपराधिक कृत्यों एवं घटनाओं पर नज़र रखने के लिए विभिन्न थानों के अंतर्गत सृजन अभियान के माध्यम से व्हाट्सअप ग्रुप बनाए गए हैं जिसमें एक पुलिसकर्मी को भी जोड़ा गया है। इस ग्रुप की मेंबर बच्चियां अपने विरुद्ध हो रही छोटी-मोटी घटनाएं या अन्य जानकारी शेयर कर सकती हैं। अब इस तरह के ग्रुप स्कूल स्तर पर भी बनाने तथा पेरेंट-टीचर्स मीटिंग में भी इस अभियान की जानकारी देने पर विचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन दिनों शॉर्ट टेम्पर्ड होने की वजह से घर छोड़ने, शादी तोड़ने जैसी घटनाएं बढ़ी हैं जिसके लिए कम उम्र से ही बच्चों को सही समझाइश देना आवश्यक है। उन्होंने मोबाईल की लत को इंगित करते हुए इसे सायबर क्राइम की दिशा में बढ़ने वाला कदम बताया। एडिशनल डीसीपी, मुख्यालय डॉ. सीमा अलावा ने कहा कि अपराधों के लिए महिलाओं एवं युवतियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है जबकि वक़्त की जरूरत है कि हम अपने बच्चों को भी समझाएं। अब नए कानून में सख्ती कर दी गई है। नाबालिक बच्चियों को साथ ले जाना भर भी गंभीर अपराध की श्रेणी में आ गया है। उन्होंने कहा कि स्कूलिंग की उम्र में हार्मोनल चेंज होते हैं तब बच्चों को अच्छा-बुरा समझमें आने लगता है। ऐसे में इसी उम्र में सही-गलत का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए। डॉ. अलावा ने बताया कि शिक्षा का स्तर बढ़ने से दहेज़ जैसे प्रकरणों में कमी आई है लेकिन सायबर क्राइम तेजी से बढ़ रहे हैं।
संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास डॉ. संध्या व्यास ने कहा कि मैं हूँ अभिमन्यु शीर्षक से ही एक चेहरा सामने आता है और आज सबसे ज्यादा सीख-समझाइश की जरूरत युवाओं को ही है। अभिमन्यु अभियान पुलिस विभाग की बजाए जनता का जन अभियान बनना चाहिए। डॉ. व्यास ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने युवाओं की शक्ति को पहचाना था इसलिए समाज को बदलने के लिए केवल सौ युवा समाज से मांगे थे। सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास शुभांगी मजूमदार ने कहा कि महिला अपराध के मामले में लीगल एडवाइज और अन्य मदद के लिए विभाग वन स्टॉप क्राइसेस सेंटर का संचालन कर रहा है। इसके अंतर्गत पीड़ित महिलाएं एवं युवतियां पांच दिनों तक सेंटर में रह सकती है। उन्होंने बताया कि इंदौर की गतिविधि को आधार बनाकर केंद्र-राज्य सरकार को ऐसी ही योजना बनाने का प्रस्ताव भेजा गया जिसे केंद्र सरकार ने मिशन शक्ति में शामिल कर लिया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है कि महिला को अबला नहीं समझा जाए।
दिल्ली पब्लिक स्कूल, राऊ की प्रिंसिपल आशा नायर ने कहा कि घर परिवार के लोग एकेडेमिक रिजल्ट पर अधिक जोर देने लगे हैं। ऐसे में जीवन से नैतिक शिक्षा कहीं पीछे छूट गई है। उन्होंने कहा कि अब बेटी बचाओ की जगह बेटों को समझाओ आन्दोलन चलाए जाने की जरूररत है। उन्होंने बताया कि पहले अशिक्षिक और गरीब वर्ग से अपराधो की ख़बरें आती थी लेकिन अब बड़े घरों में नशाखोरी, उत्पीड़न, मारपीट की शिकायत आम हो गई हैं।
आईपीएस कॉलेज आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट की हेड डॉ. मनीता सक्सेना ने कहा कि पेरेंट्स को बच्चों की गतिविधियों पर नज़र रखना चाहिए। स्कूल के बाद होने वाली पार्टियाँ बच्चों को बिगाड़ने का केंद्र बनते जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अभिमन्यु अभियान को व्यापक स्तर पर चलाया जाना चाहिए। क्योंकि आज भी समाज में बेटी होने को बुरा माना जाता है। बचपन से बेटों को विशेष तरजीह दी जाती है जो बिगड़ने की प्रमुख वजह बनती है। उन्होंने पुलिस प्रशासन से आग्रह किया कि स्कूल परिसरों के बाहर नशे की बिक्री पर सख्ती से रोक लगाना चाहिए। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत रचना जौहरी, सोनाली यादव, आकाश चौकसे, अभिषेक सिसोदिया, सुदेश गुप्ता एवं कुमार लाहोटी ने किया। इस अवसर पर अतिथियों ने अभिमन्यु अभियान पर केंद्रित पोस्टर्स सीरिज का लोकार्पण किया। कार्यक्रम का संचालन अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सामाजिक संगठन के सदस्य और महात्मा गांधी कोचिंग इंस्टीटयूट के स्टूडेंट उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में स्टूडेंट ने वक्ताओं से प्रश्न भी पूछे।