बीएचयू अस्पताल में डॉक्टरों (एमबीबीएस इंटर्न) द्वारा अपनी जगह फर्जी इंटर्न से ड्यूटी कराने का मामला अब पीएमओ और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंच गया है। बीएचयू के शोध छात्रों ने मामले की जांच कराने की मांग की है। साथ ही कहा है कि जांच चलने तक चिकित्सा अधीक्षक सहित अन्य जिम्मेदारों को कार्य से विरत रखा जाए। इन लोगों के पद पर बने रहने से जांच के प्रभावित हो सकती है।
शोध छात्र पतंजलि पांडेय, अधोक्षज पांडेय ने पीएमओ, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री व कुलपति को भेजे ई मेल में लिखा कि बीएचयू में पूर्वांचल के साथ ही बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश तक के मरीज आते हैं। जिस तरह से अस्पताल की इमरजेंसी, एमसीएच विंग, ट्रामा सेंटर में एमबीबीएस इंटर्न ने अपनी जगह फर्जी इंटर्न से ड्यूटी कराई, वह ठीक नहीं है।
यह मरीजों के जान से सीधे खिलवाड़ करने जैसा है। एमबीबीएस की पढ़ाई व इलाज सामान्य लोगों के समझ से बाहर है। जिन लोगों को एमबीबीएस के बारे में कुछ पता ही नहीं, उनसे ड्यूटी कराना गंभीर अपराध है। इतना बड़ा मामला सामने आया, फिर भी अस्पताल प्रशासन मौन है। अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
मेडिकल अफसर से विभागाध्यक्ष तक किसी को भनक नहींबीएचयू अस्पताल में किस इंटर्न की ड्यूटी कहां होगी, उसकी सूची नियमानुसार आईएमएस निदेशक कार्यालय से विभागों में भेज दी जाती है। चौंकाने वाली बात यह है कि चार लोगों की जगह दूसरे लोगों ने ड्यूटी कर ली और उनके हस्ताक्षर भी बना दिए। लेकिन, इसकी जानकारी मेडिकल अफसर और संबंधित विभागाध्यक्ष को भी नहीं हो पाई। फर्जी इंटर्न की ड्यूटी प्रमाणित कर एमएस ऑफिस भी भेज दी गई।सामने आ सकते हैं कई और नाम
एमबीबीएस इंटर्न की जगह ड्यूटी करने के मामले में अभी तीन लोग पकड़े गए और उन पर मुकदमा भी दर्ज हो गया। लेकिन, जिस तरह मामले की परत खुलरही है, उससे लग रहा है कि अभी कुछ और लोगों के नाम सामने आएंगे। इधर, पुलिस ने भी जांच तेज कर दी है।
कुलपति की पहल पर आगे बढ़ी कार्रवाईकुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन को फर्जीवाड़े की जानकारी मिली तो कड़ा रुख अपनाया। कुलपति ने जिम्मेदारों को तुरंत मामले में ठोस कार्रवाई के निर्देश दिए। कुलपति की पहल पर ही तहरीर लिखी गई और फिर मामले में लंका थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। अब जांच समिति की रिपोर्ट का इंतजार है। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।