नई दिल्ली, 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को दो दिवसीय दौरे पर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक पहुंचे, जहां उनका स्वागत भारतीय संस्कृति और थाई आतिथ्य के शानदार मेल के साथ हुआ। इस यात्रा का मकसद छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेना है, लेकिन इससे पहले बैंकॉक की धरती पर जो नजारा दिखा, वह भारत और थाईलैंड के बीच सांस्कृतिक बंधन की जीवंत मिसाल बन गया।

हवाई अड्डे से होटल तक: जोश और जश्न का माहौल
जैसे ही पीएम मोदी बैंकॉक हवाई अड्डे पर उतरे, थाईलैंड के उपप्रधानमंत्री सूर्या जुंगरुंगरींगकिट और शीर्ष अधिकारियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। लेकिन असली रंग तब चढ़ा, जब भारतीय प्रवासियों ने “मोदी-मोदी” और “वंदे मातरम” के नारों से आसमान गूंजा दिया। होटल पहुंचते ही गुजरात का पारंपरिक गरबा नृत्य उनकी अगवानी के लिए तैयार था। पारंपरिक परिधानों में सजे गुजराती, सिख और गढ़वाली समुदाय के लोग उत्साह से लबरेज थे। यह सिर्फ स्वागत नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का एक जीवंत उत्सव था।

रामकियेन से गीता तक: सांस्कृतिक सेतु
बैंकॉक में पीएम मोदी ने रामायण के थाई संस्करण ‘रामकियेन’ के मंचन का आनंद लिया। यह नाटक दोनों देशों के बीच साझा सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इसके साथ ही स्थानीय थाई समुदाय ने मंत्रों से उनका स्वागत किया। सिख समुदाय ने स्वर्ण मंदिर का स्मृति चिन्ह भेंट किया, जैन समुदाय ने नवजार मंत्र पढ़े, और इस्कॉन समुदाय ने उन्हें गीता सौंपी। यह दृश्य भारत की विविधता और थाईलैंड के साथ उसके ऐतिहासिक जुड़ाव को बखूबी दर्शाता है।

बिम्सटेक और कूटनीति: शिखर सम्मेलन का एजेंडा
शुक्रवार, 4 अप्रैल को पीएम मोदी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय नेताओं के साथ अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। बिम्सटेक, जिसमें बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के सात देश—भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड—शामिल हैं, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मंच है। भारत इसमें सबसे बड़ा और प्रभावशाली सदस्य है। इस सम्मेलन में सहयोग के नए रास्ते तलाशे जाएंगे। इसके अलावा, पीएम ने थाई प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की, जिसमें दोनों देशों के ऐतिहासिक और रणनीतिक रिश्तों को मजबूती देने पर जोर रहा।

एक यात्रा, कई रंग
यह दौरा सिर्फ कूटनीति का मंच नहीं, बल्कि संस्कृति और भावनाओं का संगम भी है। हवाई अड्डे पर नारों की गूंज से लेकर रामकियेन के मंचन तक, और गरबा की थाप से लेकर गीता के उपहार तक—हर पल में भारत और थाईलैंड के रिश्ते की गहराई झलकती है। पीएम मोदी की यह यात्रा न सिर्फ बिम्सटेक के लिए अहम है, बल्कि दो देशों के बीच सांस्कृतिक और रणनीतिक सेतु को और मजबूत करने का वादा भी करती है। बैंकॉक की धरती पर यह दो दिन इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों से लिखे जाएंगे।