नई दिल्ली, 2 अप्रैल 2025, बुधवार। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल यानी 3 अप्रैल 2025 से थाईलैंड की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे, जहां वह बिम्सटेक (BIMSTEC) सम्मेलन में शिरकत करेंगे। यह दौरा न केवल क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का एक मंच साबित होगा, बल्कि कूटनीति और संस्कृति के लिहाज से भी खास होने की उम्मीद है। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी की मुलाकात बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस से हो सकती है। यह पहली मुलाकात होगी, जिसके लिए बांग्लादेश की ओर से खास आग्रह किया गया है। हालांकि, भारत सरकार ने अभी तक इस बैठक पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं के बीच चर्चा की तैयारियां जोरों पर हैं।
बिम्सटेक सम्मेलन: क्षेत्रीय एकता का मंच
बिम्सटेक सम्मेलन का मकसद दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग को मजबूत करना है। पीएम मोदी इस मंच पर क्षेत्रीय सुरक्षा, विकास और आर्थिक साझेदारी जैसे अहम मुद्दों पर अपनी बात रखेंगे। इस दौरान उनकी नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से भी मुलाकात होगी। हालांकि, म्यांमा के सैन्य नेता मिन आंग ह्लाइंग की मौजूदगी पर सस्पेंस बरकरार है, खासकर पिछले हफ्ते वहां आए विनाशकारी भूकंप के बाद। यह सम्मेलन 2018 के बाद बिम्सटेक नेताओं की पहली आमने-सामने की बैठक होगी, जो इसे और भी खास बनाती है।
थाईलैंड के शाही परिवार से मुलाकात
सम्मेलन के अलावा, पीएम मोदी शुक्रवार को थाईलैंड के राजा महा वजीरालोंगकोर्न (रामा दसवें) और रानी सुथिदा से भी मिलेंगे। इसके बाद वह थाईलैंड की प्रधानमंत्री शिनावात्रा के साथ वाट फो मंदिर का दौरा करेंगे। यह मंदिर अपनी विशाल लेटे हुए बुद्ध की प्रतिमा और चारों ओर बिखरी बुद्ध की असंख्य मूर्तियों के लिए मशहूर है। थाईलैंड में सार्वजनिक शिक्षा का पहला केंद्र होने के नाते यह जगह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
बैंकॉक विजन 2030 की ओर कदम
शुक्रवार सुबह बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी हिस्सा लेंगे, जहां “बैंकॉक विजन 2030” को स्वीकार किए जाने की संभावना है। यह विजन क्षेत्रीय विकास और सहयोग के लिए एक रोडमैप तैयार करेगा।
एक यात्रा, कई संभावनाएं
पीएम मोदी का यह दौरा न सिर्फ भारत-बांग्लादेश और भारत-थाईलैंड संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है, बल्कि बिम्सटेक देशों के बीच एकता और समृद्धि का प्रतीक भी बन सकता है। कूटनीति, संस्कृति और विकास का यह संगम आने वाले दिनों में क्षेत्रीय गतिशीलता को नया रंग दे सकता है।