वाराणसी, 2 अगस्त 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज काशी की पावन धरती से देश को संबोधित करते हुए पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र किया और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को बाबा विश्वनाथ के चरणों में समर्पित किया। सावन के पवित्र महीने में वाराणसी पहुंचे पीएम ने कहा, “मैंने अपनी बेटियों के सिंदूर का बदला लेने का वचन दिया था, और महादेव के आशीर्वाद से यह वचन पूरा हुआ।”
ऑपरेशन सिंदूर: 140 करोड़ भारतीयों की एकता की जीत
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था। पीएम ने कहा, “उन परिवारों की पीड़ा, बच्चों का दुख, और बेटियों की वेदना ने मेरे हृदय को झकझोर दिया।” ऑपरेशन सिंदूर को जवानों के पराक्रम और 140 करोड़ भारतीयों की एकता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने इसे काशी की जनता और बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद का नतीजा बताया।
किसान सम्मान निधि की 20वीं किश्त जारी
पीएम ने वाराणसी में आयोजित विराट किसान उत्सव में किसान सम्मान निधि की 20वीं किश्त जारी की, जिसके तहत 10 करोड़ किसानों के खातों में 21 हजार करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए। उन्होंने कहा, “जब काशी से धन जाता है, तो वह प्रसाद बन जाता है।” इस दौरान 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया गया, जो काशी में विकास की अविरल धारा को दर्शाता है।
भोलेनाथ और मां गंगा को प्रणाम
सावन के पवित्र महीने में काशी की आध्यात्मिकता का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा, “शिवभक्तों का गंगाजल लेकर बाबा का जलाभिषेक करने का दृश्य मनोरम है। डमरू की आवाज आत्मा को झंकृत करती है।” उन्होंने बाबा विश्वनाथ और मार्कंडेय महादेव के दर्शन की इच्छा जताई, लेकिन भक्तों को असुविधा न हो, इसलिए यहीं से भोलेनाथ और मां गंगा को प्रणाम किया। “हर-हर महादेव” के जयकारे के साथ मंच गूंज उठा।
श्रेष्ठ भारत की परंपरा को गति
पीएम ने तमिलनाडु के 1 हजार साल पुराने ऐतिहासिक मंदिर का जिक्र किया, जिसे राजेंद्र चोल ने बनवाया था। उन्होंने बताया कि चोल ने गंगाजल से उत्तर और दक्षिण को जोड़ा था, जो एक भारत-श्रेष्ठ भारत का प्रतीक था। पीएम ने कहा, “मैं भी गंगाजल लेकर वहां गया और जलाभिषेक का सौभाग्य प्राप्त किया। यह देश की एकता की चेतना है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर को सफल बनाया।”
काशी का विकास, देश की प्रगति
पीएम मोदी ने काशी को विकास का केंद्र बताते हुए कहा कि मां गंगा के साथ-साथ यहां विकास की धारा भी अविरल बह रही है। उन्होंने काशी की जनता को नमन करते हुए कहा कि यह पावन भूमि देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है। इस आयोजन ने न केवल काशी की आध्यात्मिकता को उजागर किया, बल्कि देश की एकता, जवानों के पराक्रम और किसानों के सम्मान को भी रेखांकित किया।