नई दिल्ली, 7 जून 2025, शनिवार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पहली बार किसी ग्लोबल मंच पर होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही कनाडा के कनानास्किस, अल्बर्टा में 15 से 17 जून तक होने वाले जी7 शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे। यह घोषणा स्वयं पीएम मोदी ने की, जब उन्होंने कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ बातचीत के बाद इस निमंत्रण को स्वीकार किया। यह न्यौता न केवल भारत की बढ़ती वैश्विक साख का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत को अब कोई भी वैश्विक मंच अनदेखा नहीं कर सकता।
ग्लोबल मंच से पाकिस्तान को करेंगे बेनकाब
अब जब तमाम सांसदों का डेलिगेशन विदेशों में भारत के ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को बताकर और पाकिस्तान को बेनकाब कर वापस आ चुका है तो अब बारी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की। पीएम मोदी इसी साल अप्रैल में जब सऊदी अरब की यात्रा रद्द कर भारत लौटे तो उसके बाद कनाडा की उनकी पहली विदेश यात्रा होगी, जिसमें सबसे बड़ी बात यह है कि G7 के सभी सदस्य देश एक साथ मंच पर मौजूद रहेंगे। उम्मीद लगाई जा रही है कि पीएम मोदी आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान को ग्लोबल मंच से बेनकाब करेंगे।
भारत-कनाडा संबंध: तनाव के बाद भी अटूट बंधन
हाल के महीनों में भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव देखने को मिला था। खासकर, पूर्व कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ होने के आरोप ने माहौल गरमाया था। भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कनाडा पर बेबुनियाद दावे करने और चरमपंथ को बढ़ावा देने का पलटवार किया था। दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित किया और वीजा प्रक्रियाओं पर भी अड़ंगा लगा। लेकिन, इन तनावों के बावजूद, दोनों देशों के बीच आर्थिक और जन-जन के रिश्ते अटूट रहे। कनाडा में 18 लाख से ज्यादा भारतीय मूल के लोग और 4.27 लाख भारतीय छात्र वहां की विविधता और अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं।
जी7 में भारत की मौजूदगी: वैश्विक कद का सबूत
भारत भले ही जी7 का औपचारिक सदस्य न हो, लेकिन 2019 से हर शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी को निमंत्रण मिलता रहा है। इस बार निमंत्रण में देरी को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए थे, लेकिन अब यह साफ है कि भारत की वैश्विक हैसियत को नजरअंदाज करना असंभव है। जी7, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश शामिल हैं, भारत की रणनीतिक और आर्थिक ताकत को पहचानता है। हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा की चिंताओं ने इस शिखर सम्मेलन को और भी अहम बना दिया है।
आर्थिक रिश्तों का मजबूत आधार
भारत और कनाडा के बीच आर्थिक सहयोग किसी तनाव से कमजोर नहीं पड़ा। कनाडा के पेंशन फंड ने भारत में 75 अरब कनाडाई डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। 600 से अधिक कनाडाई कंपनियां भारत में सक्रिय हैं, जबकि 1,000 से ज्यादा कंपनियां यहां अवसर तलाश रही हैं। दूसरी ओर, भारतीय कंपनियां भी कनाडा में आईटी, फाइनेंस, हेल्थकेयर और प्राकृतिक संसाधनों जैसे क्षेत्रों में अपनी धाक जमा रही हैं।
पीएम मोदी का संदेश: एकजुटता और सहयोग
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पीएम मोदी ने लिखा, “कनाडा के पीएम मार्क कार्नी से बात कर खुशी हुई। उनकी हालिया चुनावी जीत पर बधाई और जी7 शिखर सम्मेलन के निमंत्रण के लिए धन्यवाद। भारत और कनाडा, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और हितों के आधार पर, नए जोश के साथ काम करेंगे।” यह बयान भारत की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो वैश्विक मंचों पर सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देती है।
भारत का बढ़ता दबदबा
जी7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की भागीदारी भारत के वैश्विक कद को और मजबूत करती है। यह न केवल भारत-कनाडा संबंधों को नई दिशा देगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की आवाज को और बुलंद करेगा। चाहे वह आर्थिक साझेदारी हो या सामरिक महत्व, भारत अब वह शक्ति है, जिसे कोई अनदेखा नहीं कर सकता।