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Saturday, August 2, 2025

प्रधानमंत्री मोदी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा – उनके प्रयासों को कभी भूलाया नहीं जा सकता

जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज पुण्यतिथि है और इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई मंत्रियों और भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने उन्हें नमन किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके प्रयासों को कभी भूलाया नहीं जा सकता।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहा हूं। उनके महान आदर्श, समृद्ध विचार और लोगों की सेवा करने की प्रतिबद्धता हमें प्रेरित करती रहेगी। राष्ट्रीय एकता के उनके प्रयासों को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।’’

पीएम मोदी के अलावा भाजपा की ओर से भी श्यामा प्रसाद मुखर्जी को नमन किया गया है। भाजपा ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के पर्याय, महान शिक्षाविद, प्रखर राष्ट्रवादी विचारक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर भावभीनी श्रद्धांजलि। 

वहीं केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर हौज खास में वृक्षारोपण किया। इसके अलावा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर भोपाल में पौधारोपण किया। 
 

श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर को बचाने में लगा दिया जीवन: नड्डा
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त हो उसके लिए आंदोलन चलाया था। एक निशान, एक विधान, एक प्रधान का नारा दिया था। उन्होंने अपना जीवन देश की एकता—अखंडता और जम्मू-कश्मीर को बचाने के लिए समर्पित कर दिया।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का परिचय
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे, जनसंघ के बाद से ही बाद में भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अगुवाई में जनसंघ ने देश के बंटवारे का विरोध किया था। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मुखर्जी को अंतरिम सरकार में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में शामिल किया था लेकिन नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली के बीच हुए समझौते के पश्चात उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था। वर्ष 1953 में 23 जून को जेल में रहस्यमयी परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई थी।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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