मनोज कुमार की देशभक्ति की गूंज हमेशा रहेगी जिंदा
नई दिल्ली, 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार। मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में एक युग का अंत हो गया। भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार, जिन्हें प्यार से ‘भारत कुमार’ कहा जाता था, ने 87 साल की उम्र में अपनी अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर ने पूरे देश को शोक में डुबो दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अपूरणीय क्षति पर गहरा दुख जताया। पीएम ने कहा, “मनोज कुमार भारतीय सिनेमा के एक प्रतीक थे। उनकी फिल्मों में देशभक्ति का जोश इस कदर झलकता था कि वह हर दिल को छू जाता था। उनके काम ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को न सिर्फ जागृत किया, बल्कि उसे पीढ़ियों तक प्रेरणा देने का रास्ता भी दिखाया।” इस दुख की घड़ी में पीएम ने उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
देशभक्ति की मिसाल: मनोज कुमार की फिल्में
“है प्रीत जहां की रीत सदा…” जैसे गीत आज भी सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जब देश आजादी की पहली सांसें ले रहा था, तब मनोज कुमार ने अपनी फिल्मों और गीतों के जरिए लोगों के दिलों में राष्ट्रप्रेम की अलख जगाई। उनकी फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं थीं, बल्कि एक मिशन थीं, जो देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा करती थीं।
‘पूरब और पश्चिम’, ‘उपकार’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, और ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों में मनोज कुमार ने देशभक्ति को इस तरह पेश किया कि वह हर भारतीय के दिल में बस गई। 1965 में ‘शहीद’ फिल्म में उन्होंने भगत सिंह का किरदार निभाकर क्रांतिकारी भावनाओं को जीवंत कर दिया। इसके बाद 1967 में ‘उपकार’ में बतौर अभिनेता और निर्देशक उन्होंने कमाल कर दिखाया। इस फिल्म में “जय जवान जय किसान” के नारे को उन्होंने ऐसा बल दिया कि यह देश के कोने-कोने में गूंज उठा। यह नारा तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का दिया हुआ था, जिसे मनोज कुमार ने अमर कर दिया।
सम्मान और विरासत
मनोज कुमार की कला को भारतीय सिनेमा ने भी खूब सराहा। 2015 में उन्हें दादा साहेब फाल्के सम्मान से नवाजा गया, जो भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान है। उनकी फिल्में आज भी हमें याद दिलाती हैं कि देश के लिए समर्पण और गर्व क्या होता है।
मनोज कुमार अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज, उनके गीत और उनकी फिल्में हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी। यह ‘भारत कुमार’ का अलविदा नहीं, बल्कि उनकी देशभक्ति की गूंज का एक नया अध्याय है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।