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Monday, June 30, 2025

वोट के बदले नोट मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पीएम मोदी ने जताई खुशी, सोशल मीडिया पर साझा कर लिखा- इस फैसले से राजनीति होगी बेदाग

वोट के बदले नोट मामले पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले पर पीएम मोदी ने भी खुशी जताई है। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में फैसले का स्वागत किया और लिखा ‘स्वागतम! माननीय सुप्रीम कोर्ट का एक अच्छा फैसला, जो बेदाग राजनीति और व्यवस्था में लोगों के विश्वास को पुख्ता करेगा।’

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा अपना पुराना फैसला
सात जजों की संविधान पीठ ने झारखंड मुक्ति मोर्चा रिश्वत मामले में अपना पुराना फैसला पलट दिया है और पैसे लेकर वोट देने के मामले में सांसदों-विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने की छूट दे दी है। मुख्य न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि रिश्वतखोरी के मामलों में संसदीय विशेषाधिकारों के तहत संरक्षण प्राप्त नहीं है और 1998 के फैसले की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 के विपरीत है। अनुच्छेद 105 और 194 संसद और विधानसभाओं में सांसदों और विधायकों की शक्तियों एवं विशेषाधिकारों से संबंधित हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि रिश्वतखोरी के मामलों में इन अनुच्छेदों के तहत छूट नहीं है क्योंकि यह सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को नष्ट करती है। 

रिश्वतखोरी, संसदीय विशेषाधिकार के तहत संरक्षित नहीं
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम मानते हैं कि रिश्वतखोरी, संसदीय विशेषाधिकार नहीं है। माननीयों द्वारा किया जाने वाला भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी भारत के संसदीय लोकतंत्र को तबाह कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि जो विधायक राज्यसभा चुनाव के लिए रिश्वत ले रहे हैं उनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोधी कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। गौरतलब है कि मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में रिश्वत के बदले वोट के मामले में मिले विशेषाधिकार का विरोध किया था। सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि रिश्वतखोरी कभी भी मुकदमे से छूट का विषय नहीं हो सकती। संसदीय विशेषाधिकार का मतलब किसी सांसद-विधेयक को कानून से ऊपर रखना नहीं है।  

झारखंड की विधायक सीता सोरेन पर साल 2012 में राज्यसभा चुनाव में वोट के बदले रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। इस मामले में उनके खिलाफ आपराधिक मामला चल रहा है। इन आरोपों पर अपने बचाव में सीता सोरेन ने तर्क दिया था कि उन्हें सदन में कुछ भी कहने या किसी को भी वोट देने का अधिकार है और संविधान के अनुच्छेद 194(2) के तहत उन्हें विशेषाधिकार हासिल है। जिसके तहत इन चीजों के लिए उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। इस तर्क के आधार पर सीता सोरेन ने अपने खिलाफ चल रहे मामले को रद्द करने की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 1998 में दिए पांच जजों की संविधान पीठ के एक फैसले को पलटते हुए रिश्वत लेकर वोट देने के मामले में सांसदों-विधायकों को अभियोजन से छूट देने से इनकार कर दिया है और भ्रष्टाचार रोधी कानून के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। 

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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