नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2025, बुधवार। महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित फिल्म ‘फुले’ जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक अनंत महादेवन की यह फिल्म न केवल एक ऐतिहासिक कहानी बयां करती है, बल्कि महिला शिक्षा, जाति उन्मूलन और सामाजिक परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर करती है। हालांकि, यह फिल्म रिलीज से पहले ही विवादों के घेरे में आ गई थी, लेकिन अब यह 25 अप्रैल को दर्शकों से रूबरू होने को तैयार है।
विवाद और सेंसर बोर्ड की अड़चनें
मूल रूप से 11 अप्रैल को रिलीज होने वाली यह फिल्म ब्राह्मण महासंघ की आपत्तियों और सेंसर बोर्ड के सुझावों के कारण टल गई थी। फिल्म के विषय को लेकर कई तरह की बातें सामने आईं, जिसके बाद निर्देशक अनंत महादेवन और उनकी टीम ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात की। राज ठाकरे के आवास ‘शिवतीर्थ’ में हुई इस चर्चा में फिल्म के ट्रेलर को दिखाया गया और इसके कथानक पर खुलकर बात हुई।
राज ठाकरे का समर्थन: ‘फिल्म सटीक और जरूरी’
फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद राज ठाकरे ने इसे सटीक और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘फुले’ को जल्द से जल्द सिनेमाघरों में रिलीज करना चाहिए ताकि लोग इसे देखकर इतिहास से सीख सकें। ठाकरे ने यह भी कहा कि फिल्म के दृश्य और कहानी सही तरीके से लिखी गई है, और इसे केवल ट्रेलर के आधार पर आलोचना का शिकार नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि दर्शकों को पूरी फिल्म देखने के बाद ही अपनी राय व्यक्त करनी चाहिए।
‘इतिहास सही है तो कोई आपत्ति नहीं’
महाराष्ट्र नवनिर्माण चित्रपट कर्मकार सेना की कार्यकारी अध्यक्ष शालिनी ठाकरे ने भी फिल्म का समर्थन किया। उनका कहना था कि यदि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्य सही हैं, तो इसमें किसी बदलाव की जरूरत नहीं। राज ठाकरे ने भी इस बात पर जोर दिया कि महापुरुषों के जीवन को जातिगत राजनीति से जोड़ना गलत है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म महात्मा फुले की जयंती पर रिलीज होनी चाहिए थी, क्योंकि यह सामाजिक एकता और प्रेरणा का संदेश देती है।
‘फुले’ की स्टारकास्ट और कहानी
फिल्म में प्रतीक गांधी (स्कैम 1992 फेम) महात्मा ज्योतिराव फुले की भूमिका में हैं, जबकि पत्रलेखा सावित्रीबाई फुले के किरदार को जीवंत करेंगी। यह फिल्म फुले दंपति के संघर्ष, उनकी समाज सुधार की लड़ाई और शिक्षा के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान को दर्शाती है। अनंत महादेवन का निर्देशन और इस फिल्म का संवेदनशील विषय इसे एक महत्वपूर्ण सिनेमाई अनुभव बनाता है।
क्यों देखें ‘फुले’?
‘फुले’ न केवल एक ऐतिहासिक ड्रामा है, बल्कि यह आज के समाज के लिए भी प्रासंगिक है। यह फिल्म हमें उन महान व्यक्तित्वों की याद दिलाती है, जिन्होंने समाज में बदलाव की नींव रखी। विवादों को दरकिनार कर यह फिल्म अब दर्शकों के सामने आने को तैयार है। तो, 25 अप्रैल को सिनेमाघरों में ‘फुले’ देखें और इतिहास के उस सुनहरे पन्ने को फिर से जिएं, जो सामाजिक क्रांति का प्रतीक है।