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Monday, July 7, 2025

राम मंदिर तक बनेगी फोन लेन सड़क, काशी विश्वनाथ की तर्ज पर श्रीराम जन्मभूमि का होगा विकास

काशी विश्वनाथ धाम की तर्ज पर अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का विकास किया जाएगा। योगी कैबिनेट ने मंगलवार को अयोध्या के नगर विकास से जुड़े कई प्रस्तावों को मंजूरी दी। यहां मुख्य मार्ग से श्रीराम जन्मभूमि तक 12.94 किमी मार्ग का निर्माण, चौड़ीकरण और सौंदर्यीकरण होगा। इस पर 797.69 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि सहादतगंज से नया घाट होते हुए जन्मभूमि स्थल तक फोर लेन सड़क बनाई जाएगी। यह मेन स्पाईन रोड के निर्माण के लिए भूमि, मकान और दुकानों का अधिग्रहण किया जाएगा। इससे प्रभावित होने परिवारों और दुकानदारों को नियमानुसार मुआवजा देकर विस्थापित किया जाएगा। मंगलवार को योगी कैबिनेट ने मार्ग निर्माण और भूमि अधिग्रहण के लिए 797.69 करोड़ का प्रस्ताव मंजूर किया।

अयोध्या में रोड के निर्माण के लिए भूमि एवं भवन अधिग्रहण पर 378.77 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसका निर्माण लोक निर्माण विभाग करेगा। भूमि अधिग्रहण अधिकृत संस्था के माध्यम से किया जाएगा।

श्रद्धालुओं के लिए हर सुविधा का होगा विकास
जयवीर सिंह ने बताया कि अयोध्या के विजन डॉक्यूमेंट के अनुसार इस मार्ग को आधुनिक बनाने के लिए सड़क के साथ ही सीवर, पावर केबल और वाटर डक्ट की भी व्यवस्था की जाएगी। श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए शौचालय, बैंच, पेयजल सहित अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की जाएगी। इस 12.940 किलोमीटर मार्ग का आगणन पूर्ण रूप से नए सिरे से एक माडर्न सिटी की ट्रंक रोड के रूप में किया गया है। ड्रेन की डिजाइन मानक के अनुरूप की गई है।

कैबिनेट ने गृह विभाग और दिव्यांगजन विभाग के बीच एमओयू की मंजूरी दी
उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेसिंक साइंसेज लखनऊ परिसर में स्थापित होने वाले राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) गांधीनगर गुजरात के रीजनल सेंटर का भवन बनने तक रीजनल सेंटर डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय परिसर में स्थित समेकित विशेष माध्यमिक विद्यालय भवन में संचालित किया जाएगा। योगी कैबिनेट की मंगलवार को लोक भवन में आयोजित बैठक में विद्यालय भवन तीन वर्ष के लिए गृह विभाग को निशुल्क देने के लिए गृह विभाग और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के बीच होने वाले एमओयू के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि भारत सरकार ने वर्ष 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों तथा पुलिस सेवा के क्षेत्र में कार्य करने वाले दक्ष कार्मिकों की उपलब्धता, शोध, प्रशिक्षण एवं आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा जैसे महत्वूपर्ण विषयों के लिए गुजरात के गांधीनगर में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय स्थापित किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति की ओर से आरआरयू का रीजनल सेंटर यूपी में स्थापित करने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेंसिक साइंसेज के परिसर में केंद्रीय संस्थान के लिए आरक्षित 5 एकड़ भूमि पर रीजनल सेंटर स्थापित करने की सैद्धांतिक सहमति दी थी।

आरआरयू के रीजनल सेंटर के भवन का निर्माण होने तक डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय परिसर में चिंहित राजकीय समेकित विशेष माध्यमिक विद्यालय के भवन में रीजनल सेंटर कैंपस संचालन का निर्णय किया है। विद्यालय भवन तीन वर्ष के लिए गृह विभाग को निशुल्क आवंटित किया जाएगा। इसके लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और गृह विभाग के बीच एक एमओयू साइन किया जाएगा। राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के अस्थाई रीजनल सेंटर के संचालन के लिए व्यय भार का वहन आरआरयू की ओर से वहन किया जाएगा।

प्रतापगढ़ के डेरवा को मिला नगर पंचायत का दर्जा
साल के अंत में होने वाले नगर निकाय चुनाव से पहले सरकार ने प्रतापगढ़ के डेरवा बाजार को नई नगर पंचायत का दर्जा देने के साथ ही 9 नगर निकायों के सीमा विस्तार का फैसला किया है। इसमें सात नगर पालिका परिषद और दो नगर पंचायतें शामिल हैं। इससे संबंधित नगर विकास विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। प्रदेश में अब कुल नगर निकायों की संख्या 751 हो गई है। हालांकि अब तक कुल 752 निकाय थे, लेकिन वाराणसी के रामनगर और सूजाबाद नगर निकाय को वाराणसी नगर निगम में शामिल कर दिए जाने और प्रतापगढ़ के डेरवा को नई नगर पंचायत बनाने के बाद यह संख्या 751 रह गई है।

सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम लेने पर श्रमिक को करना होगा दोगुना भुगतान
प्रदेश में सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा काम लेने पर अतिरिक्त घंटों के लिए श्रमिक को दोगुना भुगतान करना होगा। उप्र व्यावसायिक सुरक्षा स्वास्थ्य और कार्य शर्त संहिता नियमावली 2022 को कैबिनेट ने ऐसे ही तमाम प्रावधानों के साथ मंगलवार को हरी झंडी दे दी। इससे संबंधित बनाए गए तीन एक्ट को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है।

अपर मुख्य सचिव श्रम सुरेश चंद्रा ने बताया कि केंद्र सरकार ने श्रम विभाग के 29 कानूनों को खत्म कर चार संहिता बना दी हैं। सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध और मजदूरी संहिता को पहले ही हरी झंडी दी जा चुकी है। अब कैबिनेट में व्यावसायिक सुरक्षा स्वास्थ्य और कार्य शर्त संहिता के प्रख्यापन को मंजूरी दी गई। इसके तहत अब किसी अधिष्ठान या कारखाने में काम करने वाले 45 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिक का या खतरनाक प्रकृति कारखाने में काम करने वाले श्रमिक का वर्ष में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण कराना होगा। प्रत्येक नियोजन कर्मचारी का नियुक्ति पत्र जारी करेगा। ऐसे कारखाने जहां 500 से अधिक कर्मकार काम करते हों या खतरनाक प्रकृति के ऐसे कारखाने जहां 250 से अधिक कर्मकार काम करते हों, वहां सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति अनिवार्य होगी। सेफ्टी कमेटी का गठन करना होगा।

उन्होंने कहा कि किसी भी दिन विश्राम सहित कर्मकार के काम का समय विस्तार 12 घंटे से अधिक नहीं होगा। सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा काम करने पर अतिरिक्त घंटों के लिए दोगुना भुगतान करना होगा। शर्तों के साथ महिलाएं रात्रि में भी काम कर सकेंगी। श्रमिकों को भवन एवं सन्निर्माण बोर्ड की या श्रम विभाग की अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लाभ दिलाए जाएंगे। बीड़ी, सिगार कर्मकारों की समस्याओं का निदान करना होगा। बागानों में नियोजित श्रमिकों के लिए आवास, शौचालय, शिशु सदन, बच्चों के लिए शैक्षणिक सुविधाएं, कीटनाशकों से सुरक्षा आदि का प्रावधान किया गया है। नियमों का पहली बार उल्लंघन शमन योग्य होगा पर दूसरी बार वाद कार्रवाई होगी।

वाराणसी के रामनगर और सूजाबाद निकाय का अस्तित्व समाप्त
प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को सौगात देते हुए गंगा पार के क्षेत्रों (ट्रांस गंगा) के विकास के लिए वाराणसी नगर निगम की सीमा का विस्तार करने का फैसला किया है। इसके लिए रामगनर नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत सूजाबाद को वाराणसी नगर निगम में शामिल कर दिया गया है। यानि इन दोनों निकायों का अस्तित्व अब समाप्त हो जाएगा। नगर विकास विभाग द्वारा तैयार किए गए इससे संबंधित प्रस्ताव को मंगलवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई है।

कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने बताया कि सरकार के इस फैसले से जहां गंगा पार के क्षेत्र रामनगर और आसपास के इलाकों के सुनियोजित विकास को गति मिलेगी, वहीं इस इलाके में रहने वाले लोगों को भी शहरी सुविधाएं मुहैया हो सकेंगे। साथ ही क्षेत्र का विकास होने से पुराने शहर पर आबादी का दबाव कम करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि नगर निगम वाराणसी का सीमा विस्तार से नगर निगम की आय में वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर बनने के बाद यहां श्रद्धालुओं के आने संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इसीलिए वाराणसी में मूलभूत सुविधाएं और बढ़ाने की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है।

प्रस्ताव के मुताबिक सीमा विस्तार के बाद वाराणसी नगर निगम का दायरा बढ़ाकर 18256.017 हेक्टेयर और आबादी 1636659 हो गई है। मौजूदा समय वाराणसी नगर निगम का क्षेत्रफल 16716.617 हेक्टेयर और वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर जनसंख्या 1567219 है। नगर निगम में विलय होने वाले नगर पंचायत सूजाबाद का क्षेत्रफल 1177 हेक्टेयर और आबादी 20308 है। जबकि नगर पालिका परिषद रामनगर का क्षेत्रफल 362.40 हेक्टेयर और आबादी 49132 है। इन्हें वाराणसी नगर निगम में शामिल किए जाने के बाद जरूरत के आधार पर विकास योजनाएं लाई जा सकेंगी। मौजूदा समय यहां केंद्र और राज्य सरकार की कई परियोजनाएं चल रही हैं। लोगों की सुविधाओं के लिए रोपवे की सेवा भी जल्द शुरू होने वाली है।

अब दुकान या प्रतिष्ठान के लाइसेंस का बार-बार नहीं कराना होगा नवीनीकरण
अब दुकान और वाणिज्य संस्थान के लाइसेंस का बार-बार नवीनीकरण नहीं कराना होगा। पंजीकरण शुल्क को 15 गुना बढ़ाते हुए लाइसेंस को पूरे जीवन के लिए अनुमन्य कर दिया गया है। इसके लिए उप्र दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान (नवम संशोधन) नियमावली 2022 को कैबिनेट ने मंगलवार को मंजूरी दे दी।

अपर मुख्य सचिव श्रम सुरेश चंद्रा के मुताबिक पहले दुकानों या वाणिज्य प्रतिष्ठानों के लाइसेंस का हर पांच साल में नवीनीकरण कराना पड़ता था। इसके लिए हर बार शुल्क जमा कराना पड़ता था। अब ऐसा नहीं होगा। अब एक बार कराया गया पंजीकरण जीवन भर चलेगा। पर यह लाइसेंस 15 गुना शुल्क के साथ एक बार जारी होगा। इस एक मुश्त राशि से जहां सरकार की आय बढ़ेगी तो वहीं व्यवसायी को भी आसानी होगी।

अकेले दुकानदार को लाइसेंस की आवश्यकता नहीं
वहीं कैबिनेट में यह अहम फैसला लिया गया कि अगर किसी दुकान या प्रतिष्ठान में काम करने वाला केवल एक ही व्यक्ति है, चाहे वह उसका स्वामी ही क्यों न हो, उसे लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं है। वहीं यह संख्या एक से ज्यादा है तो लाइसेंस लेना होगा। इसके लिए शुल्क जमा करना होगा।

प्रदेश के 191 नगर निकायों में लागू होगी मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना
प्रदेश भाजपा नीति सरकार बनने केबाद से गठित होने वाले और सीमा विस्तार वाले नगर निकायों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए सरकार ने ‘मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना’ शुरू करने जा रही है। इस नई योजना को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। यह योजना उन 191 नगर निकायों में ही लागू होगी, जिन निकायों का गठन व सीमा विस्तार वर्ष 2017 से लेकर अब तक किया गया है। इस योजना के लिए बजट में 520 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

दरअसल सरकार की मंशा है कि छोटे नगर निकाय वाले शहरों में रहने वाले नागिरकों को भी बड़े नगर निकायों की तरह सुविधा मुहैया कराया जाए। इसके तहत ही सरकार ने बजट में ‘मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना’ (सीएम-एनएसवाई) शुरू करने की घोषणा की थी। इसी कड़ी में सरकार ने अब इस योजना को लागू करने का फैसला किया है।

कैबिनेट में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने बताया कि इस योजना को लागू करने के लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में ही 550 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत नई नगर पंचायतों में 366.30 करोड़ रुपये, सीमा विस्तार होने वाली पंचायतों में 53,35 करोड़, सीमा विस्तार होने वाले पालिका परिषद में 58.85 करोड़ और सीमा विस्तार वाले नगर निगमों में 71.50 करोड़ रुपये से विकास के काम कराए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि यदि किसी नगर निकाय को और अधिक धन की जरूरत होगी तो संबंधित जिले के डीएम की रिपोर्ट के बाद नगर विकास मंत्री को निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक निकायों को जनसंख्या और क्षेत्रफल के आधार पर धनराशि आवंटित की जाएगी।

नगर विकास मंत्री कर सकेंगे योजना के प्रारूप में बदलाव
मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना के क्त्रिस्यान्वयन में कठिनाई होने पर तय नियमों में परिवर्तन के लिए भी विभागीय मंत्री को अधिकृत किया गया है। परियोजना के लिए स्वीकृत की जाने वाली धनराशि में इसके बराबर निकायों को राज्य वित्त आयोग व केंद्रीय वित्त आयोग या अन्य योजनाओं से प्राप्त धनराशि से यथासंभव मिलाते हुए उपलब्ध करानी होगी। योजना के तहत भवनों के निर्माण में परंपरागत तकनीकों के अतिरिक्त पर्यावरण अनुकूल नवाचार तकनीक (इनोवेटिव कंस्ट्रक्शन टेक्नीक) का उपयोग किया जा सकता है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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