नई दिल्ली, 15 मई 2025, गुरुवार। दिल्ली की गलियों में रहने वाला 19 साल का एक लड़का, जिसके दिन-रात पब्जी गेम की दुनिया में बीतते थे। 12-12 घंटे फोन स्क्रीन से चिपके रहना, कमरे से बाहर न निकलना—यह उसकी जिंदगी का हिस्सा बन गया था। लेकिन इस लत ने उसे ऐसी सजा दी, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसकी रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो गई, ब्लैडर पर कंट्रोल खत्म हो गया, और उसे पेशाब रोकने में दिक्कत होने लगी। डॉक्टरों ने बताया कि उसे काइफोस्कोलियोसिस नाम की गंभीर बीमारी हो गई थी। हालत इतनी बिगड़ गई कि रीढ़ की हड्डी की सर्जरी तक करानी पड़ी।
आज वह लड़का ठीक होने की राह पर है, लेकिन उसकी कहानी हमारे लिए एक बड़ा सबक है। हममें से ज्यादातर लोग घंटों फोन चलाते हैं—कभी बिस्तर पर लेटकर, कभी सोफे पर टेढ़े-मेढ़े बैठकर। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इसका हमारी रीढ़ की हड्डी पर क्या असर पड़ता है? क्या हम भी उस लड़के जैसी बीमारी के शिकार हो सकते हैं? आइए, इस सवाल का जवाब जानते हैं फरीदाबाद के फोर्टिस हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी डायरेक्टर डॉ. विनीत बंगा से।
काइफोस्कोलियोसिस: रीढ़ की हड्डी का खतरनाक दुश्मन
डॉ. विनीत बताते हैं कि काइफोस्कोलियोसिस रीढ़ की हड्डी की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें दो बड़े बदलाव होते हैं। पहला, पीठ पर कूबड़ जैसा उभार बन जाता है। दूसरा, रीढ़ की हड्डी असामान्य रूप से टेढ़ी हो जाती है। नतीजा? चलने-फिरने में दिक्कत, दर्द, और कई बार गंभीर जटिलताएं। यह बीमारी जन्मजात हो सकती है, लेकिन गलत तरीके से बैठना, झुककर काम करना, चोट, मांसपेशियों की कमजोरी, या फेफड़ों की समस्याएं भी इसे ट्रिगर कर सकती हैं।
खास तौर पर, घंटों फोन या लैपटॉप चलाने वालों के लिए यह खतरा और बढ़ जाता है। जब हम सिर झुकाकर स्क्रीन देखते हैं, तो रीढ़ पर सामान्य से कई गुना ज्यादा दबाव पड़ता है। इससे न सिर्फ गर्दन और कमर में दर्द शुरू होता है, बल्कि अकड़न, हड्डियों में टेढ़ापन, सूजन, और नसों पर दबाव के कारण हाथ-पैरों में सुन्नता जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
फोन की लत से अपनी रीढ़ को कैसे बचाएं?
डॉ. विनीत कुछ आसान लेकिन जरूरी टिप्स सुझाते हैं, जो आपकी रीढ़ को स्वस्थ रखने में मदद करेंगे:
सही पॉस्चर अपनाएं: हमेशा कमर सीधी रखकर बैठें। फोन या लैपटॉप की स्क्रीन आपकी आंखों के लेवल पर होनी चाहिए।
नियमित ब्रेक लें: हर 30-40 मिनट में उठें, थोड़ा टहलें, या हल्की स्ट्रेचिंग करें। इससे रीढ़ पर दबाव कम होगा।
लक्षणों को नजरअंदाज न करें: अगर आपको लगातार गर्दन या पीठ में दर्द, झुनझुनी, कमजोरी, या बार-बार हाथ-पैर सुन्न होने की शिकायत हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
जिंदगी से ज्यादा कीमती नहीं आपका फोन
यह कहानी सिर्फ एक लड़के की नहीं, बल्कि हम सभी के लिए एक चेतावनी है। फोन की लत हमें सुकून दे सकती है, लेकिन यह हमारी सेहत को चुपके-चुपके नुकसान पहुंचा रही है। तो अगली बार जब आप घंटों स्क्रॉल करने बैठें, तो अपनी रीढ़ की हड्डी की भी फिक्र करें। सही पॉस्चर, समय-समय पर ब्रेक, और थोड़ी सी सावधानी आपको उस दर्दनाक रास्ते से बचा सकती है, जिससे वह 19 साल का लड़का गुजरा। अपनी सेहत को प्राथमिकता दें, क्योंकि आपका शरीर आपका असली साथी है, न कि आपका फोन!