वाराणसी, 2 मई 2025, शुक्रवार। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है, जिसने छात्रों और प्रशासन के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। कला संकाय के एक विभाग पर बिना ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र और अंडरटेकिंग के एक अभ्यर्थी को प्रवेश देने का गंभीर आरोप लगा है। यह मामला तब और सुर्खियों में आया, जब सोशल मीडिया पर बीएचयू की जांच कमेटी की कथित रिपोर्ट वायरल हो गई। इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से नियमों की अनदेखी की बात सामने आई है, जिसने विश्वविद्यालय की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
छात्रों का गुस्सा और सोशल मीडिया का हंगामा
छात्र भास्करादित्य त्रिपाठी ने इस मामले को सोशल मीडिया पर उजागर करते हुए जांच कमेटी की रिपोर्ट साझा की। उन्होंने बीएचयू के वीसी लॉज के बाहर धरना देकर प्रशासन से जवाब मांगा। सोशल मीडिया पर वायरल इस दस्तावेज ने मामले को और गंभीर बना दिया, जिसमें यह दावा किया गया कि कला संकाय के एक विभाग ने नियमों को ताक पर रखकर एक अभ्यर्थी को प्रवेश दे दिया। छात्रों का कहना है कि यह न केवल अन्याय है, बल्कि विश्वविद्यालय की अकादमिक निष्पक्षता पर भी धब्बा है।
डीन पर अकादमिक उत्पीड़न का आरोप
विवाद यहीं नहीं थमा। कई छात्रों ने कला संकाय के एक डीन पर अकादमिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है। छात्रों ने कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार को ज्ञापन सौंपकर शिकायत की कि बिना ठोस कारण के बार-बार जांच कमेटियां गठित की जा रही हैं, जिससे उनका मानसिक उत्पीड़न हो रहा है। छात्रों ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई और न्याय की मांग की है। हालांकि, जब जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनका फोन नहीं उठा, जिससे छात्रों का आक्रोश और बढ़ गया।

यूजीसी का हस्तक्षेप: पीएचडी प्रवेश पर रोक
मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बीएचयू में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगा दी है। यूजीसी के सचिव प्रो. मनीष आर जोशी ने कार्यवाहक कुलपति को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि जांच कमेटी की रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय होने तक कोई भी प्रवेश संबंधी कार्रवाई न की जाए। यूजीसी ने बीएचयू में प्रवेश प्रक्रिया में विसंगतियों की शिकायतों का हवाला देते हुए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का फैसला किया है, जो नियमों के अनुपालन की जांच करेगी। बीएचयू के इतिहास में यह पहला मौका है जब यूजीसी को इस तरह का सख्त कदम उठाना पड़ा है।
प्रशासन की बैठक और छात्रों का विरोध
यूजीसी के पत्र के बाद बीएचयू प्रशासन ने एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई, लेकिन छात्रों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा। वीसी आवास के बाहर धरना और विरोध प्रदर्शन जारी है। छात्रों का कहना है कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होगी और प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं आएगी, वे पीछे नहीं हटेंगे।
क्या है आगे का रास्ता?
यह विवाद न केवल बीएचयू की प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर सवाल उठाता है, बल्कि देश के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए भी एक सबक है। नियमों की अनदेखी और अकादमिक उत्पीड़न जैसे आरोप विश्वविद्यालय की साख को प्रभावित कर सकते हैं। अब सभी की निगाहें यूजीसी की जांच समिति और बीएचयू प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या यह मामला पारदर्शी जांच के साथ सुलझेगा, या छात्रों का आंदोलन और तेज होगा? यह समय ही बताएगा।