नई दिल्ली, 18 मई 2025, रविवार। राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है, और इस बार तूफान का केंद्र हैं नागौर से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के सांसद हनुमान बेनीवाल। अपने बेबाक और विवादित बयानों के लिए मशहूर बेनीवाल ने इस बार राजस्थान की ऐतिहासिक विरासत और यहाँ के लोगों पर तीखा हमला बोला है। उनके बयान ने न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि आम जनता के बीच भी तीव्र प्रतिक्रियाएँ उकसाई हैं।
जयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान बेनीवाल ने दावा किया कि राजस्थान को ‘वीरों की भूमि’ कहना गलत है। उन्होंने कहा, “भगत सिंह जैसा एक भी क्रांतिकारी राजस्थान से नहीं निकला। यहाँ के राजा अपनी कुर्सी बचाने के लिए मुगलों को अपनी बेटियाँ तक सौंप देते थे। मुगलों से वैवाहिक रिश्ते कायम किए गए।” बेनीवाल ने यहाँ तक कहा कि महाराणा प्रताप और सूरजमल जैसे कुछ अपवादों को छोड़ दें, तो राजस्थान के लोगों ने देश की आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं दिया।
उनके मुताबिक, “1857 के गदर से लेकर आजादी तक, राजस्थान में कोई बड़ी लड़ाई नहीं लड़ी गई। पड़ोसी राज्यों ने जितना संघर्ष किया, राजस्थान ने उतना नहीं। आजादी की लड़ाई में राजस्थान का कोई गीत नहीं गाया गया। अगर किसी ने लड़ाई लड़ी हो, तो उसका नाम बताएँ।”
“राजस्थान के लोग शोषण के आदी”
बेनीवाल यहीं नहीं रुके। उन्होंने राजस्थान की जनता पर शोषण सहने का आरोप लगाते हुए कहा, “यहाँ के लोग शोषण के आदी हैं। पाँच साल कांग्रेस से शोषण करवाते हैं, फिर पाँच साल बीजेपी से। मेरे जैसे संघर्ष करने वालों को यहाँ तवज्जो नहीं मिलती। मैं 2 डिग्री से 46 डिग्री तापमान में आंदोलन करता रहा हूँ।”
यह बयान बेनीवाल ने जयपुर के शहीद स्मारक पर सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा के असफल अभ्यर्थियों के धरने में दिया। वे इस धरने में रोज शामिल हो रहे हैं और भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर 25 मई को जयपुर में एक विशाल रैली की घोषणा कर चुके हैं। इस रैली में एक लाख लोगों को जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।
विवाद का केंद्र क्यों बने बेनीवाल?
हनुमान बेनीवाल का यह बयान कई मायनों में आपत्तिजनक माना जा रहा है। राजस्थान, जिसे रणबांकुरों और वीरों की भूमि के रूप में जाना जाता है, उसकी ऐतिहासिक गौरव गाथा पर सवाल उठाना आसान नहीं। महाराणा प्रताप, रानी पद्मिनी, पृथ्वीराज चौहान जैसे योद्धाओं की धरती को आजादी की लड़ाई में योगदानहीन बताने और यहाँ के राजाओं पर मुगलों से समझौते का आरोप लगाने से इतिहास प्रेमियों और स्थानीय लोगों में नाराजगी फैल गई है।
वहीं, बेनीवाल के समर्थक इसे उनकी बेबाकी का हिस्सा मानते हैं। उनका कहना है कि बेनीवाल सामाजिक मुद्दों, खासकर युवाओं के हितों के लिए लड़ते हैं और उनका इरादा किसी की भावनाएँ आहत करना नहीं था।