वाराणसी, 28 नवंबर 2024, गुरुवार। काशी में 30 नवंबर और एक दिसंबर को एक अद्वितीय आयोजन होने जा रहा है, जहां मां सती के सभी 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंगों का समागम होगा। इस आयोजन में संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित मां की शक्तिपीठों के पीठाधीश्वर, ज्योतिर्लिंगों के अर्चक, व्यवस्थापक, संत-महंत, पुजारियों के अतिरिक्त अन्य प्रमुख देवी मंदिरों व शिव तीर्थों के प्रतिनिधि प्रतिभाग करेंगे।
इस समागम में बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल व श्रीलंका स्थित शक्तिपीठों से संतो-महंतों, अर्चकों का आना लगभग तय है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक पेच के चलते तिब्बत स्थित शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर का आगमन अभी अनिश्चित है। समागम की आयोजक संस्था सेंटर फार सनातन रिसर्च व ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट के अध्यक्ष रमण त्रिपाठी ने बताया कि तंत्र चूड़ामणि ग्रंथ के अनुसार जहां-जहां मां सती के अंग, वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आए। इसमें पाकिस्तान में एक, बांग्लादेश में सात, नेपाल में दो, श्रीलंका व तिब्बत में एक-एक कुल मिलाकर 13 शक्तिपीठ विदेश में हैं।
मां सती के 51 शक्तिपीठों की मिट्टी से बनेगी अद्भुत प्रतिमा, द्वादश ज्योतिर्लिंगों की मिट्टी से बनेगा संयुक्त शिवलिंग!
काशी में आयोजित होने वाले अद्वितीय आयोजन में मां सती के 51 शक्तिपीठों की मिट्टी से एक अद्भुत प्रतिमा बनाई जा रही है। यह प्रतिमा दक्ष यज्ञ के हजारों लाखों वर्ष बाद मां के सर्वांग एकीकृत कर प्रतिमा रूप में मां सती की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। महमूरगंज स्थित शांडिल्य आर्ट स्टूडियो में पटना के मूर्तिकार रामू कुमार द्वारा इस अद्भुत प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा, द्वादश ज्योतिर्लिंगों की मिट्टी से एक संयुक्त शिवलिंग भी बनाया जा रहा है। यह आयोजन काशी की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को और भी समृद्ध बनाने के लिए आयोजित किया जा रहा है।
काशी में मां सती की प्रतिमा के साथ मां ज्वाला देवी की ज्वाला प्रज्वलित रहेगी!
काशी में आयोजित होने वाले समागम में मां सती की एकीकृत प्रतिमा और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समवेत स्वरूप शिवलिंग के साथ मां ज्वाला देवी की ज्वाला भी प्रज्वलित रहेगी। समागम स्थल पर मां सती की एकीकृत प्रतिमा और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समवेत स्वरूप शिवलिंग की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, मां ज्वाला देवी की ज्वाला को एक अखंड दीप में प्रज्वलित कर साथ लाया जाएगा। यह ज्वाला समागम के दौरान प्रज्वलित रहेगी।
विदेश स्थित शक्तिपीठ
पाकिस्तान -हिंगलाज भवानी शक्तिपीठ (बलूचिस्तान) व महिषासुर मर्दिनी मंदिर शिवाहरकार्य (कराची, निमंत्रित)।
बांग्लादेश – अपर्णा (भवानीपुर), जशोरेश्वरी (खुलना), भवानी (चंद्रनाथ पहाड़ी), विमला देवी (मुर्शिदाबाद), सुनंदा (बरिसल, शिकारपुर), देवी जयंती (जयंतिया), महालक्ष्मी (जैनपुर)।
नेपाल – गंडाल्ड चंडी (चंडी नदी), महाशिरा गुलेश्वरी देवी (निकट-पशुपतिनाथ मंदिर)।
तिब्बत – शक्ति दक्षयानी (मानसरोवर)।
श्रीलंका – शंकरी देवी या इंद्राक्षी देवी पीठम (त्रिकोणमाली)।