वाराणसी, 1 जून 2025, रविवार: वाराणसी की सड़कों पर एक सनसनीखेज खुलासा हुआ, जब वन विभाग की तेज-तर्रार टीम ने तीन चालाक तस्करों को धर दबोचा। ये लोग कोई साधारण सामान नहीं, बल्कि रंग-बिरंगे तोतों को झारखंड की घनी वादियों से वाराणसी की सड़कों तक प्राइवेट बस की डिग्गी में छिपाकर ला रहे थे! जी हां, ये था एक हरे रंग का काला कारनामा, जिसका पर्दा वन विभाग ने फटाफट उठा दिया।
गुप्त सूचना ने खोली पोल
दरसल, वन विभाग के मुख्यालय में एक फोन कॉल ने हड़कंप मचा दिया। किसी ने चुपके से खबर दी कि अंधरापुल के पास कुछ शातिर लोग प्रतिबंधित पक्षियों की खरीद-फरोख्त में जुटे हैं। वन संरक्षक रवि कुमार सिंह ने तुरंत एक्शन लिया और क्षेत्रीय वनाधिकारी राजकुमार गौतम की अगुवाई में एक चीते-सी फुर्तीली टीम तैयार की।

डिग्गी में छिपा था ‘चहचहाता खजाना’
जब वन विभाग की टीम अंधरापुल पहुंची, तो नजारा देखकर उनकी आंखें चमक उठीं। एक प्राइवेट बस (UP 65JT9765) की डिग्गी से एक युवक चुपके-चुपके तोतों को निकालकर दूसरे को सौंप रहा था। लेकिन इससे पहले कि ये ‘हरी चाल’ पूरी हो पाती, वन विभाग की टीम ने झपट्टा मारकर तीनों को दबोच लिया। डिग्गी में रखे कार्टन को खोलते ही सबके होश उड़ गए—28 रंग-बिरंगे तोते चहचहाते हुए बाहर आए, मानो कह रहे हों, “हमें आजाद करो!”
तस्करों का कबूलनामा
पकड़े गए तस्करों में बस चालक धनंजय (झारखंड), कंडक्टर अभय (चंदौली), और वाराणसी के विश्वेश्वरगंज का मो. आरिफ शामिल थे। पूछताछ में धनंजय ने सारा राज उगल दिया। उसने बताया कि झारखंड के गढ़वा से तोतों को चुराकर वाराणसी लाया जाता था, और मो. आरिफ को डिलीवरी करनी थी। लेकिन इस बार उनकी चालाकी पर वन विभाग की नजर पड़ गई।
कानून का शिकंजा
वन विभाग ने तीनों तस्करों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया है। अब ये शातिर तस्कर कानून के पंजे में हैं, और उन नन्हे तोतों को आजादी की राह दिखाई जा रही है।