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Sunday, August 10, 2025

वाराणसी में इस नई बीमारी से दहशत… ‘स्क्रबटायफस’ बना बच्चों के लिए काल!

वाराणसी। शहर में इन दिनों कई बच्चे रहस्यमी बुखार से तप रहे हैं। अचानक बुखार इस कदर बढ़ जाता है कि सांस लेना भी दूभर हो जाता है। वाराणसी में लोग जहां मच्छर के काटने वाले डेंगू बुखार के खौफ में जी रहे हैं। वहीं स्क्रब टायफस ने भी लोगों की चिंता बढ़ा दी है। स्वास्थ्य महकमा लोगों को जागरूक कर रहा है। लेकिन हर रोज बीएचयू, जिला अस्पताल और मंडलीय अस्पताल में 800 बच्चे रोज आ रहे हैं। जो स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा रहे हैं। एक सप्ताह से सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है। हालांकि, डेंगू और स्क्रब टायफस से वाराणसी में किसी के भी मौत होने की पुष्टि नहीं हुई है।

इन्फ्लूएंजा, डेंगू, स्क्रब टाइफस जैसे तमाम वायरस बच्चों को संक्रमित कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के बाद का डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसे वेक्टर जनित रोग बड़े पैमाने पर फैलते हैं। आज अधिकांश बुखार वायरल हैं चाहे इन्फ्लुएंजा हो या डेंगू। ये बुखार आपको बहुत कमजोर और सुस्त महसूस कराते हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सीपी गुप्ता का कहना है कि बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों के मुकाबले कम होती है। इस वजह से उन पर बीमारियों का प्रभाव अधिक रहता है।

वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि स्क्रब टायफस ज्यादा जानलेवा है। निजी अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ राणा विनोद सिंह ने बताया कि हमारे पास एक 6-7 साल का बच्चा आया था। उसे दो हफ्तों से बुखार था। ब्लड टेस्ट से स्क्रब टायफस का पता चला। इलाज के बाद में उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन कभी-कभी यह बीमारी जानलेवा हो सकती है। अगर लंबे समय तक स्क्रब टायफस का इलाज नहीं हुआ, तो यह लिवर पर असर डालता है।

डॉ राणा ने कहा कि कोई रहस्यमय बीमारी या बुखार जो 3-4 दिन से अधिक रह रहा है, बुखार 103-104 डिग्री से अधिक हो, और अगर बुखार न भी हो, लेकिन यदि बच्चा भोजन नहीं कर रहा है, या तरल पदार्थ नहीं ले रहा है, बहुत दर्द की शिकायत करता है। उसके शरीर या किसी भाग पर चकत्ते हो तो उसे अस्पताल लाया जाना चाहिए। इसके बाद डॉक्टर को तय करना होता है कि वह उसे भर्ती करते हैं या उसे घर पर ही रहकर दवा देने की सलाह देते हैं। डॉ ने बताया कि सावधानी बरतने के लिए मच्छरों के पैदा होने वाली जगहों को साफ करना चाहिए। घरों में पानी जमा नहीं होना चाहिए। बच्चे बाहर जाएं तो मच्छर भगाने वाली दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए।

ये बरतें सावधानी

एक्सपर्ट्स व डॉक्टर के अनुसार, स्क्रब टाइफस डेंगू की तरह एक वेक्टर बॉर्न बीमारी है। स्क्रब टाइफस किसी वायरस के कारण नहीं बल्कि बैक्टीरिया के कारण होता है। स्क्रब टाइफ्स को शर्ब टाइफ्स भी कहते हैं। ये ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया से होता है। इसे बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है। ये संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से लोगों में फैलता है। स्क्रब टाइफस के सामान्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द, रैशेज और चिगर्स के काटने वाली जगह पर पपड़ी का जमा होना भी शामिल हैं। इसके अलावा, मानसिक परिवर्तन, भ्रम से लेकर कोमा तक या लिम्फ नोड्स का बढ़ना भी इसके लक्षण हो सकते हैं। डॉक्टर के अनुसार, गंभीर रूप से बीमार होने पर ऑर्गन फेलियर और ब्लीडिंग होने का खतरा बढ़ सकता है। इसका समय पर इलाज न किए जाने पर ये जानलेवा भी साबित हो सकती है।

  • बच्चों को पूरी बांह का कपड़ा पहनाकर रखें।
  • बहुत देर तक रखा खाना खिलाने से परहेज करें।
  • बच्चों को एसी में ज्यादा देर तक रखना नुकसानदायक हो सकता है।

तीन दिन तक बुखार हो, पेट दर्द करें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

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